पूर्वी भारत की नारियल व ताड़ के वृक्षों के विकास को बिहार के बीएयू में आइसीएआर की पहली बार बैठक शुरू…. विभिन्न प्रांतों के 60 वैज्ञानिकों बैठक में मंथन शुरू…

पटना

डेस्क/ बिफोर प्रिंट/भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् का अखिल भारतीय परियोजना ताड़ एवं नारियल वृक्षों की विकास व प्रसार के सवाल पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय(BAU) सबौर में तीन दिवसीय महती बैठक शुरू हो चुकी है | भारत के पूर्वी क्षेत्र में यह पहली बैठक है जहाँ ताड़ और नारियल समूह के वृक्षों जैसे ताड़, नारियल, सुपाड़ी, ऑयल पाम एवं कोकोवा के विकास पर विमर्श किया जा रहा है।

साथ ही भारत भर में चल रही परि‌योजनाओ का अवलोकन तथा आने वाले वर्ष के तकनीकि योजना की रूप रेखा तैयार की जा रही है | दिनांक 21 से 23 अगस्त तक चलने वाली इस बैठक में देश के विभिन्न भागों से ताड़ और नारियल के विभिन्न समूहों में काम करने वाले वैज्ञानिकगण भाग ले रहे हैं।

जिसमे ICAR नई दिल्ली के ADG उद्द्यान डॉ वी० बी० पटेल, केंद्रीय रोपाण फसत शोध संस्थान , कासरगोड के निदेशक डॉ के० बी० हेबर, भारतीय तेल ताड़ अनुसन्धान संसथान के निदेशक डॉ के० सुरेश सहित ३० वैज्ञानिक समेत देश के विभिन्न राज्यों के कृषि विश्वविद्यालय के लगभग 60 वैज्ञानिक इस बैठक में भाग लेंगे।

इस परियोजना के योजना समन्वयक डॉ. अगस्टिन जेरार्ड हैं जिनके नेतृत्व में कार्यक्रम बिहार कृषि विश्वविद्यालय में हो रहा है। उद्घाटन सत्र में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के गतिविधियों पर आधारित वृतचित्र “सफरनामा” के प्रदर्शन के साथ हुआ |

उद्घाटन सत्र में बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डी० आर० सिंह ने कहा कि यह हमारे लिए हर्ष का विषय है कि पूर्वी भारत में इस तरह की पहली बैठक बिहार कृषि विश्वविद्यालय में हो रही है | कुलपति ने कहा कि आज बिहार लीची, मखाना और शहद उत्पादन में पुरे देश में अव्वल है और इसमें विश्वविद्या