बेवजह ना करें कहीं लाठीचार्ज और ना ही किसी मामले में निर्दोष नाम डालकर फंसाएं
पक्के सबूतो और जांच के किए बगैर पुलिसकर्मियों को न करें सस्पेंड
Patna, Ajit: बिहार के नए डीजीपी राजविंदर सिंह भट्टी ने पटना पुलिस के आला पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक में साफ-साफ कह दिया कह दिया की अगर बेवजह सिर्फ छोटी मोटी गलतियों पर पुलिसकर्मियों को आला अधिकारी सस्पेंड करते हैं तो उनकी मॉनिटरिंग करके उनके खिलाफ भी जांच कराई जाएगी। डीजीपी ने साफ कहा कि केवल किसी आदेश का अनुपालन नहीं करने पर ही पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जाता है तो यह गलत होगा। अगर कोई पुलिसकर्मी कोई गलती करता है तो ऊपर के आला पुलिस अधिकारियों की जिम्मेवारी भी बनती है की सीनियर क्या कर रहे थे।
विधि व्यस्था को लेकर कहा की हर चीज की पहले से प्लानिंग करनी चाहिए. पर्व त्यौहार आने वाला है, कोई कार्यक्रम होना है तो तैयारी पहले से होनी चाहिए अंतिम समय मे नहीं. बिना वजह लाठीचार्ज नहीं करना चाहिए जहाँ जरुरत हो वही इस्तेमाल कीजिये. यदि लगता है की पहले से हंगामा कर सकते है तो वैसे तत्वों को पहले से चिन्हित करिये और हिरासत मे ले लीजिये.पुलिस मे रेगुलर ट्रेनिंग बहुत जरुरी है. यदि ट्रेनिंग रहेगी तो अनुशासन भी रहेगा। बिहार के डीजीपी राजविंदर सिंह भट्ठी बुधवार को बिहार के सभी आईजी डीआई जी के साथ साथ ऑनलाइन बिहार के सभी जिलों के एसपी से लेकर थानेदारों तक को सम्बोधित कर रहे थे।
अपने तेवर के मुताबिक डीजीपी ने कई मुद्दों पर आज अपनी राय स्पष्ट कर दिया की वो क्या चाहते है और क्या करने वाले है. नए डीजीपी यहीं नहीं रुके उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि किसी भी तरह के मामलों में अगर जरूरी नहीं हो तो लाठीचार्ज नहीं करना चाहिए उन्होंने कहा कि किसी बवाल फसाद के मामले में या किसी भी तरह के अपराधिक मामले में या समाज के बीच विवाद पैदा करने के मामले में बगैर जांच और सोचे समझे किसी शख्स का नाम एफ आई आर में जोड़ा जाता है तो ऐसे मामलों की पूरी जांच कराई जाएगी।
डीजीपी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बगैर पक्के सबूत और अनुसंधान किए ही किसी भी व्यक्ति को एफ आई आर में नाम डाल कर परेशान ना करें। डीजीपी ने कहा कि ऐसे मामलों में वरीय पुलिस अधिकारी निचले पुलिस अधिकारी के बयान को ही सही मानकर सत्य करार दे देते हैं जिससे व्यक्ति को थाना से जेल और कोर्ट कचहरी के मामलों में बेवजह परेशान होना पड़ता है। स्पष्ट रूप से कहा ऐसे ही मामलों से पुलिस की छवि खराब होती है ऐसी प्रवृत्ति में सुधार लाने की जरूरत है।
बिहार मे यह आम बात है की पहले एफ आई आर मे किसी का नाम भी डाल दिया जाता है और फिर ऊपर के अधिकारी आई ओ और एसपी भी उसे ही बैठकर सही ठहरा देते है. सभी अधिकारी सुपरवीजन के पहले घटनास्थल पर जाए और फिर अपनी रिपोर्ट दे. सही अनुसन्धान बहुत जरुरी है और इसके बाद आपको लगता है की अमुक का नाम बेवजह दिया गया है और उसे फसाया जा रहा है तो उसका नाम बिल्कुल हटाइये. समय देकर रिपोर्ट तैयार कीजिये. सिर्फ डिस्पोजल नहीं. न्याय करना मकसद होना चाहिए.सबसे ख़ास बात कहा की पुलिस का मनोबल ऊँचा रहना चाहिए.
बिना वजह सस्पेंड और अन्य कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. यह बहुत आसान होता है की शिकायत मिली नहीं की सस्पेंड कर दिया. अगर नीचे वाला को सस्पेंड करने की जरुरत पड़ी तो ऊपर वाले पर भी सवाल है की वो क्या कर रहे थे उनकी क्या जिम्मेदारी है.डीजीपी ने कहा की निर्भीक होकर काम करिये किसी से डरने की जरुरत नहीं.यदि काम को लेकर कोई सवाल उठेगा तो जवाब मै दूंगा. डीजीपी ने कहा की क्रिमिनल को दौड़ाओ और उन्हें थका दो नहीं तो वो आपको दौड़ाएंगे.मै यह मानने को तैयार नहीं को आप नहीं दौड़ा सकते है..