एसटीएफ और जिला पुलिस के संयुक्त प्रयासों से अपराधियों की कमर टूटी, सीमित क्षेत्रों में सिमटा उग्रवाद

पटना, डेस्क। राज्य में कानून का राज स्थापित करने की दिशा में बिहार पुलिस द्वारा लगातार प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार ने अपराध और उग्रवाद पर काबू पाने के लिए जिस दूरदर्शी रणनीति को अपनाया है, उसका असर अब साफ नजर आने लगा है। विशेष कार्यबल (एसटीएफ) और जिला पुलिस के संयुक्त अभियानों के चलते उग्रवादी गतिविधियाँ अब खड़गपुर और छक्कबरबंधा के कुछ सीमित पहाड़ी क्षेत्रों तक सिमट कर रह गई हैं।
बिहार पुलिस ने 1 जनवरी 2025 से अब तक की गई कार्रवाई के दौरान उग्रवाद और संगठित अपराध पर सख्त नियंत्रण पाने में सफलता हासिल की है। एसटीएफ द्वारा गठित विशेष जांच इकाइयों, अभियान दलों और ‘चीता’ टीमों के साथ केंद्रीय सुरक्षा बलों के समन्वय में लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। पुलिस का दावा है कि आगामी तीन महीनों में शेष बचे इलाकों से भी उग्रवाद का पूरी तरह सफाया कर दिया जाएगा।
उग्रवादी संगठनों की रीढ़ तोड़ने के लिए शीर्ष कमांडरों की गिरफ्तारी, 15 लाख के इनामी विवेक यादव की संदिग्ध मृत्यु और जमानत पर रिहा उग्रवादियों, उनके संरक्षकों और आर्थिक मददगारों पर कड़ी निगरानी की जा रही है। झारखंड की सीमा से लगे जंगली इलाकों में अंतर्राज्यीय समन्वय के जरिए कार्रवाई की जा रही है, ताकि नक्सली नेटवर्क फिर से संगठित न हो सके।
संगठित अपराध के विरुद्ध भी राज्य पुलिस का अभियान तेज हो चुका है। एसटीएफ में क्षेत्रवार 15 स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) सक्रिय हैं, जो संगठित गिरोह, हथियार तस्करों और अंतरराज्यीय अपराध नेटवर्क पर कार्रवाई कर रहे हैं। राज्य में घटी बड़ी आपराधिक घटनाओं और समाज पर असर डालने वाली वारदातों का विस्तृत डाटाबेस तैयार किया गया है। इसके आधार पर सूचना आधारित अभियान चलाए जा रहे हैं।
प्रत्येक SOG और संबंधित सेल में तकनीकी शाखा और डेटा विश्लेषण इकाइयाँ कार्यरत हैं, जो टॉप 10 और टॉप 20 अपराधियों की सूची तैयार कर उन पर कड़ी निगरानी बनाए हुए हैं। पुलिस अब उन अपराधियों पर भी नजर रख रही है जो जेल में बंद रहते हुए या राज्य से बाहर रहकर अपराध को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे नेटवर्क को तोड़ने के लिए त्वरित कार्रवाई की जा रही है। अररिया और मुंगेर में पुलिस पर हुए हमले के मामलों में आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार किया गया, जिनमें कुछ मामलों में मुठभेड़ भी हुई।
हथियारों के अवैध धंधे और फर्जी दस्तावेजों के जरिए चलने वाले हथियार व्यापारियों पर विशेष अभियान चलाकर बड़ी सफलता हासिल की गई है। गोली की आपूर्ति करने वाले नेटवर्क पर भी कार्रवाई जारी है। इस सिलसिले में सरकार एक नई नीति लागू करने जा रही है, जिसके तहत गोली के क्रय-विक्रय पर सख्त नियंत्रण रहेगा। एसटीएफ और जिला आसूचना इकाइयों के बीच समन्वय को बेहतर बनाने के लिए मासिक समीक्षा बैठकें, प्रशिक्षण कार्यक्रम और तकनीकी उन्नयन किए जा रहे हैं।
तकनीकी सेल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निगरानी रखकर जिलों को रियल टाइम इनपुट उपलब्ध करा रही है। बिहार पुलिस का यह अभियान तात्कालिक कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य राज्य को उग्रवाद और अपराध से मुक्त करना है।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पुलिस बल को आधुनिक उपकरणों, संसाधनों और तकनीक से लैस किया है। अब पुलिस केवल कार्रवाई तक सीमित नहीं, बल्कि अपराध की जड़ों तक पहुँचने और नेटवर्क को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। बिहार में कानून का शासन स्थापित करने की दिशा में यह एक बड़ा और निर्णायक कदम है, जिससे आम लोगों में सुरक्षा की भावना बढ़ी है और अपराधियों के हौसले पस्त हुए हैं।