पटना, अशोक “अश्क” बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर 4000 से अधिक शिक्षकों ने विभिन्न जिलों में योगदान दिया है। हालांकि, कई शिक्षकों को फर्जी तरीके से बहाल किए जाने के मामले में आयोग और शिक्षा विभाग के निर्देश पर पहले ही सेवा मुक्त किया जा चुका है। अब जिला शिक्षा विभाग के सामने एक नई चुनौती आ खड़ी हुई है।

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आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा से बहाल हुए कुछ शिक्षकों के खिलाफ फर्जी सर्टिफिकेट के माध्यम से नौकरी हासिल करने को लेकर गुमनाम पत्र आने लगे हैं। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, कुछ पत्र सीधे जिला शिक्षा पदाधिकारी के नाम भेजे गए हैं, जबकि कुछ जिला अधिकारी के मेल पर भी प्राप्त हुए हैं। अब तक करीब आधा दर्जन से अधिक ऐसे पत्र मिले हैं, जिनमें सुल्तानगंज, नाथनगर, शाहकुंड और रंगरा प्रखंड के शिक्षकों पर फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी लेने का आरोप लगाया गया है।
उत्तर प्रदेश से आए दो पत्रों में न केवल शिक्षकों के नाम दर्ज हैं, बल्कि उनके संदिग्ध प्रमाणपत्रों के नंबर भी उल्लिखित किए गए हैं। वहीं, कुछ पत्रों में केवल शिक्षक और स्कूल के नाम का उल्लेख किया गया है। गुमनाम पत्रों के आधार पर जिला शिक्षा विभाग की स्थानीय शाखा ने जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। विभाग ने कुछ आवेदनकर्ताओं से शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की सत्यता को लेकर सबूत भी मांगे हैं।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, यदि जांच में शिक्षकों के सर्टिफिकेट फर्जी पाए जाते हैं, तो उनकी नौकरी तत्काल समाप्त कर दी जाएगी। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ निवासी रजनीश ने जिले के सुल्तानगंज में कार्यरत एक शिक्षक के फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्र को लेकर जिला शिक्षा विभाग को पत्र भेजा है। आरोप है कि संबंधित शिक्षक ने बीपीएससी परीक्षा के जरिए नौकरी तो पाई, लेकिन उसके प्रमाणपत्र संदिग्ध हैं।
नाथनगर प्रखंड के मध्य विद्यालय जितवारपुर में कार्यरत एक शिक्षक के खिलाफ फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए नौकरी हासिल करने की शिकायत दर्ज की गई है। यह शिकायत एक आम नागरिक की ओर से भेजे गए पत्र के माध्यम से की गई है। बीपीएससी से बहाल शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर जिला शिक्षा विभाग को कई शिकायतें और ईमेल प्राप्त हुए हैं। विभाग अब अपने स्तर पर इन मामलों की जांच कर रहा है। कुछ आवेदनकर्ताओं से सबूत भी मांगे गए हैं ताकि फर्जी शिक्षकों की पहचान की जा सके।