स्टेट डेस्क/पटना : बिहार महिला समाज का 11 वां जिला सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब महिलाओं पर हमले तेज हुए हैं। उन्हें सामाजिक, आर्थिक , लैंगिक और राजनीतिक रूप से कमजोर करने की कोशिश हो रही है। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं गोलबंद हों और संघर्ष तेज करे।
बिहार महिला समाज के जिला सम्मेलन को संबोधित करते हुए बिहार महिला समाज की अध्यक्ष सुशीला सहाय ने ये बातें कहीं। अदालत गंज के केदार भवन में आयोजित जिला सम्मेलन को संगठन की अध्यक्ष सुशीला सहाय, राज्य सचिव राजश्री किरण कार्यकारी अध्यक्ष निवेदिता झा और मुख्य वक्ता शरद कुमारी, मोना झा के आलावा अनिता मिश्रा, रिंकू कुमारी ,
कृष्ण देवी और भाकपा के जिला सचिव विश्वजीत समेत कई लोगों ने संबोधित किया। महासचिव राजश्री किरण ने कहा कि पिछले दिनों देश और राज्य के भीतर महिलाओं के साथ हुए तमाम तरह की हिंसा में इजाफा हुआ है। सत्ता में बैठी बीजेपी की सरकार ना सिर्फ बलात्कारियों को संरक्षण दे रही है बल्कि महिलाओं के अधिकार पर हमले कर रही है।
मुख्य वक्ता डा. शरद कुमारी ने कहा कि बिहार में मनरेगा जैसी योजनाओं को खत्म किया जा रहा है। रसोइया और आंगनबाड़ी महिलाओं को वेतन कम दिया जा रहा है। उनके आंदोलन को कुचलने की कोशिश हो रही है। दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक महिलाएं आज भी हाशिए पर हैं।
मोना झा ने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि महिलाओं की राजनीति में भागीदारी के सवाल पर आज भी राजनीतिक दल उनकी अनदेखी करते हैं। मोदी सरकार महिला आरक्षण बिल को संसद में पारित कर वाह- वाही लेना चाह रही है पर सच्चाई ये है कि उनकी कोई मंशा आरक्षण देने की नहीं है।
सम्मेलन में बिहार महिला समाज की जिला सचिव अनिता मिश्रा ने सांगठनिक रिपोर्ट पेश किया। सम्मेलन ने नई कमिटी का गठन किया गया। कृष्णा देवी को राज्य सचिव और अनीता मिश्रा को अध्यक्ष घोषित किया गया। इसके अलावा 7 सदस्यों की कार्यकारिणी बनी।
सम्मेलन में विभिन्न प्रखंड से प्रतिनिधि शामिल हुए। हमारा यह सम्मेलन न्याय,समानता और स्वतंत्रता जैसे अधिकार जो महिलाओं को संविधान ने दिए हैं , उन अधिकारों को हासिल करने और उसकी रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष का आह्वान करता है। बैठक का संचलन सुधा अम्बष्ठ ने किया।