महिला विरोधी बजट के खिलाफ महिलाओं ने किया प्रदर्शन, 2025-26 के आम बजट में आम लोगों के लिए कोई राहत नहीं

पटना

ये बजट महिला ,किसान, मजदूर आदिवासी, अल्पसंख्यक, दलित, महादलितों विरोधी बजट है।
बिहार महिला समाज इस जन विरोधी बजट का विरोध करता है

स्टेट डेस्क/पटना: 2025-26 के आम बजट में आम लोगों के लिए कोई राहत नहीं है। ये बजट महिला , किसान, मजदूर आदिवासी, अल्पसंख्यक, दलित, महादलितों विरोधी बजट है। बिहार महिला समाज इस  जन विरोधी बजट का विरोध करता है। इस बजट में महिलाओं के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।

बिहार महिला समाज की अध्यक्ष निवेदिता झा ने कहा कि इस बजट ने महिलाओं के विकास के सारे रास्ते बंद कर दिए। ना तो ग्रामीण क्षेत्र में न ही शहरी क्षेत्र की महिलाओं को कोई राहत मिली। आंगनबाड़ी, रसोईया और मनरेगा जैसी योजनाओं के तहत मिलने वाली  वेतन राशि में भी कोई इज़ाफ़ा नहीं हुआ है।

आर्थिक सर्वे बताता है कि पिछले कुछ सालों में मजदूरों की मजदूरी में कोई इजाफा नहीं हुआ है। पर मध्यवर्ग को खुश करने के लिए इस बार के बजट में इनकम टैक्स में राहत की घोषणा की है । 

संसद में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने नए इनकम टैक्स स्लैब की भी घोषणा की है। इस घोषणा के मुताबिक़ नई टैक्स रिजीम में सालाना 12 लाख तक की आमदनी पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा।

माना जा रहा है इससे ख़ासकर नौकरीपेशा लोगों को फायदा होगा। जिसकी संख्या काफी कम है। अभी देश में कुल 8 करोड़ लोग आयकर रिटर्न भरते हैं। जिसमें करीब 3 करोड़ लोग ही टैक्स भरते हैं। ये हमारी आबादी का बहुत छोटा हिस्सा है। इससे विपरीत कॉरपोरेट घरानों को काफी छूट दी गई है। देश के लगभग 200 अरबपतियों को कॉरपोरेट टेक्स में छूट दी गई है।

बिहार महिला समाज की  राज्य सचिव राजश्री किरण ने कहा कि मौजूदा बजट ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में रोजगार के लिए कोई निवेश नहीं करता। शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में सिर्फ 128650 करोड़  यानि  एक लाख 28 हजार 6 सौ 50 करोड़ का बजट रखा गया है जो कुल बजट का बहुत छोटा हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि महिलाओं को भी इस बजट में काफी नुकसान हुआ है। सरकार ने बहुत चालाकी से महिलाओं के लिए बनी सारी योजनाओं को जेंडर बजट का हिस्सा बना दिया है। इसी में आंगनबाड़ी से लेकर तमाम योजनाएं शामिल है। इस बजट में आंगनबाड़ी, रसोईया के वेतन में कोई वृद्धि नहीं होगी।

जानी मानी अधिवक्ता सुधा अंबष्ट ने कहा कि
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में महिलाओं के लिए सक्षम आंगनवाड़ी पोषण 2.0 योजना पेश की है। सरकार दावा करती है कि इस योजना के अंतर्गत 8 सौ करोड़ बच्चों को लाभ मिलेगा और एक करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को लाभ मिलेगा। पर कुल बजट में कोई वृद्धि नहीं की गई है।

डॉ अनिता सिंह ने कहा कि सबसे खराब स्थिति दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यकों की है। अल्पसंख्यकों के बजट की राशि पहले से ही घटा दी गई थी। 5 हजार करोड़ से कम कर 3 हजार करोड़ किया गया था। इस बार उसमें भी कटौती की गई है। ये सरकार अल्पसंख्यक विरोधी तो है ही आदिवासी और दलित विरोधी भी है।

बिहार महिला समाज की कार्यकारिणी  सदस्य रिंकू कुमारी ने कहा कि महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली योजनाओं के लिए आवंटन में भी मामूली वृद्धि की गई है, जिसमें ‘सामर्थ्य’ (महिला छात्रावास जैसी परियोजनाओं को सहायता प्रदान करना), ‘स्वाधार गृह’ और ‘प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना’ शामिल हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के लिए आवंटित किया जाता है, जिसके लिए 25,848 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।

मंत्रालय के अंतर्गत प्रमुख योजनाओं, जिनमें ‘सक्षम आंगनवाड़ी’, पोषण 2.0, मिशन वात्सल्य और मिशन शक्ति शामिल हैं, को पोषण में सुधार, बाल संरक्षण और महिला सशक्तिकरण के लिए अपने प्रयासों को जारी रखने के लिए पर्याप्त बजट नहीं दिया गया है।

बिहार महिला समाज इस बजट का विरोध करता है। आज के प्रदर्शन में बिहार महिला समाज की जिला सचिव कृष्णा देवी,  सीता देवी, युवा साथी  शगुफ्ता राशिद ,सबीना, इबराना नाज़ ,खुशबू  ,  नीलू फातिमा ,वीणा देवी समेत कई महिलाओं ने हिस्सा लिया।