Sitamarhi/Ravi Shankar Singh:अत्यंत पिछड़ा वर्ग आरक्षण बचाओ मोर्चा एवं उपेक्षित अति पिछड़ा वर्ग संघ सीतामढ़ी के तत्वावधान में पटना हाईकोर्ट द्वारा निकाय चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण सरकार के हठधर्मिता के कारण समाप्त करने के खिलाफ प्रतिवाद मार्च शहर के कर्पूरी ठाकुर अत्यंत पिछड़ा वर्ग छात्रावास से शहर के महंथ साह चौक, मेहसौल चौक होते हुए कारगिल चौक तक निकाला गया। मार्च का नेतृत्व मोर्चा के संयोजक फेकन मंडल,संघ के संयोजक राजेंद्र चन्द्रवंशी,छात्र प्रमुख शंभू पंडित, समाजसेवी अमित कुमार गोल्डी इत्यादि के द्वारा किया गया। प्रतिवाद मार्च को अतिपिछड़ा आरक्षण बचाओ मोर्चा के संयोजक फेकन मंडल ने कहा कि, दुनिया का कोई भी शासक कमजोर और वंचितों को अधिकारवीहीन कर गुलाम बनाये रखना चाहता है। संविधान की धारा 243 डी एवं टी में राजनैतिक प्रतिनिधित्व से वंचित पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग को पंचायत एवं निकायों में आरक्षण देने का प्रावधान है।
पटना उच्च न्यायालय ने केस संख्या सीडब्लूजेसी 3351/94 में किशोरी दास के मामले में 15 मार्च 1996 को बिहार में राजनैतिक प्रतिनिधित्व से वंचित अतिपिछड़ा वर्ग को आरक्षण लागू करने का प्रावधान दिया। जिसके आलोक में लंबें लङाई के बाद 2006 के पंचायत चुनाव में अतिपिछड़ा वर्ग को 20% आरक्षण लागू हुआ। लेकिन नीतीश कुमार के हठधर्मिता ने कर्पूरी के अति पिछड़ा वर्ग की अवधारणा को तार तार कर दिया। निकाय चुनाव में सरकार अतिपिछड़ा वर्ग के आरक्षण के हितैषी होती तो न्यायपालिका का इस तरह का निर्णय नहीं आता। उपेक्षित अतिपिछड़ा वर्ग के संयोजक राजेन्द्र चन्द्रवंशी, ने बिहार सरकार से एक दुसरे दलों पर आरोप प्रत्यारोप को बन्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए विशेष कमिटी का गठन कर ट्रिपल टेस्ट के माध्यम से राजनैतिक प्रतिनिधित्व से वंचित पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के बाद ही निकाय चुनाव कराने का अनुरोध किया।
समाजसेवी अमित कुमार गोल्डी ने कहा कि, उच्च न्यायालय पटना के निर्णय पर अतिपिछड़ा आरक्षण बचाओ मोर्चा के अनुरोध पर नागरिक पहल के संयोजक बसंत कुमार चौधरी, वरीय अधिवक्ता द्वारा पुनर्विचार याचिका 10 अक्टूबर को दायर किया गया है। जिसमें संविधान की धारा 243 टी के तहत् आरक्षण ख़त्म कर अन्य को नहीं दिया जा सकता है। चुनाव प्रक्रिया के बीच में इस तरह के फैसले से चुनाव में भाग लेने वाले प्रत्यासियों पर आर्थिक और मानसिक बोझ को देखते हुए मानवीय आधार पर न्यायादेश पर पुनर्विचार करने के अनुरोध पर बसंत बाबू के प्रति आभार व्यक्त किया। उबैद अंसारी ने भारत सरकार से 2011 के जातिगत जनगणना रिपोर्ट को प्रकाशित कर होने वाले जनगणना में पुरे देश में सभी धर्मों के सभी जातियों का जातिगत जनगणना कराने की मांग की।
प्रतिवाद मार्च में सीताराम मालाकार, अनिल कुमार, विश्वनाथ साह, फेकन शर्मा, जगदीश ठाकुर, रघुवीर महतो, दिलीप गुप्ता, सुनीता शर्मा, भिखारी शर्मा, दीनानाथ कुमार, कैलाश साह, रामजीवन साह, मनोज ठाकुर, नरेश महतो, अनीश निषाद, संभू पंडित, उबेद अंसारी, नूर मोहम्मद, जब्बार राईन, निक्कू मंडल, आनंद कुमार, आकाश कुमार, चंद्रवंशी, अवधेश कुमार, रूपेश कुमार, अभिषेक मंडल, आकाश कुमार, राहुल कुमार मंडल, पंकज पाल, उमेश चंद्रवंशी, राकेश कुमार, राम दयाल महतो, अनीश मंडल, सुधीर चौरसिया, सत्यजीत गुप्ता, संजीत राउत, दिनेश कापर, राजकपूर,सहित सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।