बच्चों के सर्वांगीन विकास में कठपुतली कला की भूमिका महत्वपूर्ण-संजय कुमार
मुजफ्फरपुर, बिफोर प्रिंट। आज सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा “सरला श्रीवास जयंती पखवाड़ा” के अवसर पर बागेश्वरी मूक बधिर आवासीय विद्यालय में कठपुतली संवाद “कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के सचिव संजय कुमार ने की। इस अवसर पर संबोधित करते हुए संजय कुमार ने कहा कि
कठपुतली कलाकार सरला श्रीवास ने देश भर मे भ्रमण कर कठपुतली कला के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का कार्य किया।सरला श्रीवास कठपुतली बनाने से लेकर चलाने की कला मे निपुण थी। युवावस्था मे ही कठपुतली कला के माध्यम से लोकप्रियता हासिल कर चुकी सरला श्रीवास ने कठपुतली कला को लोकप्रिय बनाने के लिये युवतियों को प्रशिक्षित भी किया। कठपुतली कला चीन, रूस, रूमानिया, इंग्लैंड, चेकोस्लोवाकिया, अमेरिका, जापान आदि अनेको देशो मे समसामयिक प्रयोग कर इसे बहुआयामी रूप प्रदान किया गया है।
वहाँ कठपुतली मनोरंजन के अलावे शिक्षा, विज्ञापन आदि अनेक क्षेत्रो मे इस्तेमाल किया जा रहा है। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कठपुतली कला अहम भूमिका निभा सकता है. इससे बच्चों में सृजनात्मक कौशल का विकास होगा। भविष्य में कठपुतली कार्यशाला के माध्यम से बच्चे विलुप्त हो रहे कठपुतली कला को अधिक से अधिक जानेंगे। सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान के संयोजक लोक कलाकार सुनील कुमार ने कहा कि माता पार्वती जी की प्रसन्नता हेतु देवाधिदेव महादेव ने काष्ठ के मूर्ति मे प्रवेश कर कठपुतली कला की शुरुआत की थी।
कला से जीवन मे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। “कठपुतली संवाद” में पर्यावरण साफ सुथरा रखने, पौधा के संरक्षण के साथ साथ कठपुतली कला के बारे में भी बताया गया। कठपुतली संवाद में मुख्य रूप से मालती देवी, नीतू कुमारी, वैष्णवी कुमारी, पूजा कुमारी, अनुपमा कुमारी के साथ साथ बच्चों के अभिभावक मौजूद थे।
“कठपुतली संवाद” में बागेश्वरी मूक बधिर आवासीय विद्यालय के सचिव संजय कुमार को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह, आध्यात्मिक पुस्तक प्रदान कर कठपुतली कला को प्रोत्साहित करने के लिए “कठपुतली कला सम्मान” से सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन बागेश्वरी मूक बधिर आवासीय विद्यालय के प्राचार्य राजू कुमार ने दिया और बताया कि जल्द से जल्द विद्यालय में कठपुतली कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।