पूर्णिया : स्कूली बसों के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद टूटी प्रशासन की नींद, शुरू की बसों की जांच

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पूर्णिया/राजेश कुमार झा। कहते हैं कि जब तक कोई बड़ी घटना नहीं घट जाती, तब तक जिला प्रशासन कोई सुध नहीं लेता। इस कहावत को पूर्णिया का जिला परिवहन कार्यालय पूरी तरह चरितार्थ कर रहा है।

बताते चलें कि बिफोरप्रिन्ट ने शहर में हादसे को निमंत्रण देती स्कूली बच्चों को लेकर जाने वाली स्कूली बसों और ऑटोरिक्शा पर खबर चलाकर जिला परिवहन पदाधिकारी रामशंकर और एमवीआई पदाधिकारी उपेंद्र राव को जानकारी दी गई थी। दोनों पदाधिकारियों ने इस मामले को लेकर कई बार आश्वासन भी दिए थे। लेकिन, इन दोनों पदाधिकारियों के आश्वासन का कोई असर इन स्कूलों के संचालकों पर बिल्कुल भी नहीं हुआ।

लिहाजा जिस बात का डर था वही हुआ। स्कूली बच्चों को ले जाती हुई बसों की दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद जिला प्रशासन, जिला परिवहन पदाधिकारी और एमवीआई पदाधिकारी सबकी नींद खुल गई और आनन-फानन में सभी स्कूलों की बसों की जांच शुरू कर दी। काश दोनों पदाधिकारी पहले ही सचेत हो जाते तो शायद ऐसी दुर्घटना को रोका जा सकता था।

परिवहन विभाग द्वारा स्कूली बसों के लिए जारी गाइडलाइंस को अगर ध्यान दें तो शायद ही कोई स्कूल इनके गाइडलाइंस में खड़े उतरे। परिवहन विभाग की गाइडलाइंस के अनुसार सभी स्कूली बसों का रंग पीला होना जरूरी है। लेकिन, अगर जांच की जाय तो शहर के कई बड़े स्कूलों की बसों का रंग पीला नहीं मिलेगा। सभी स्कूल बसों की सीटों पर सीट बेल्ट होना चाहिये।

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सभी स्कूल बसों पर स्पीड गवर्नर लगा हुआ रहना चाहिये। लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस, सीसीटीवी कैमरे, खतरे की निशान देने वाली लाइट, बस के केबिन में दोकिलो की क्षमता वाला अग्निशामक यंत्र होना जरूरी है। इस तरह के कई जरूरी मानक स्कूल बसों में होनी ही चाहिये, जिसकी जांच परिवहन विभाग को करना चाहिये।