पूर्णिया/राजेश कुमार झा। मोबाइल के जरिये पढ़ाई ने बच्चों की मानसिक से लेकर शारीरिक विकास तक को छीन लिया है। अब छात्रों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। खासकर 10वीं,11वीं एवं 12वीं के छात्रों के सामने भविष्य की चिंता मुंह बाए खड़ी है।
अब छात्रों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी ये समझ में आने लगी कि ब्लैक बोर्ड की पढ़ाई कितनी जरूरी है। बताते चलें कि कोरोना को लेकर सबसे अधिक नुकसान शिक्षा पर पड़ा है। मोबाइल की पढ़ाई ने आज छात्रों के सामने बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। अब इन छात्रों को भी ये महसूस होने लगा कि ब्लैकबोर्ड की पढ़ाई कितनी महत्वपूर्ण है। 11वीं के छात्र यशवर्धन ने बताया कि ब्लैक बोर्ड की पढ़ाई में कॉन्फिडेंस बढ़ता है।
मानसिक और शारिरिक रूप से हमलोग काफी मजबूत होते है। बीटेक के छात्र आर्य कौटिल्य झा ने बताया कि स्कूल जाने से दिलों में और आपस मे कम्पीटीशन की भावना बढ़ती है, जिनसे हम लोगों को सही दिशा मिलती है। डीएवी की 9वीं की छात्रा श्रेया झा बता रही है कि कोरोनाकाल में हमलोगों की पढ़ाई का जो नुकसान हुआ है, उससे हमलोग कभी भी उबर नहीं पाएंगे। क्योंकि इंटरनेट की पढ़ाई और क्लास रूम की पढ़ाई से क्या फर्क पड़ता है, ये हम लोग भुगत रहे है।
बताते चलें कि कोरोनाकाल के बाद अपनी पूरी क्षमता से स्कूल खुलने के बाद छात्र-छात्राओं के अंदर जो खुशी देखी जा रही है, उससे ये साफ पता चल रहा है कि स्कूल की पढ़ाई कितना महत्वपूर्ण है। छात्र कृष्णा ने कहा कि स्कूल में हम लोग जिस तरह से खेलकूद करते हुए पढाई करते हैं, उससे हम लोगों का शारीरिक और मानसिक विकास दोनों होता है।
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