पूर्णिया : मैं यहां पला बढ़ा हूं…मैं यहां मखना एवं मक्के के बारे में पूरी जानकारी ली…लेकिन इतनी संभावनाएं होने के बाबजूद आज भी किसानों की स्थिति नहीं जस की तस है… 400 किसानों को लिया कंपनी के पैनल में….जिले में अब तक का सबसे बड़ा स्टार्टअप…पढ़ें कनाडा से आए कार्तिक एवं आर्यन से बिफोरप्रिंट डिजिटल से सीधी बातचीत

पूर्णियाँ

पूर्णिया:-15 फरवरी(राजेश कुमार झा)पूर्णिया में रहकर मैट्रिक एवं इंटरमीडिएट करने के बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर की पढ़ाई पूरी करने के बाद कनाडा में जाकर बहुत अच्छे पैकेज में नौकरी कर रहे पूर्णिया के दो युवक ने तकरीबन 13 साल बाद अपना जिला पूर्णिया लौटने के बाद जिले में कुछ करने की प्लानिंग लेकर आए.लेकिन पिछले 15 दिनों से जिले में मखना एवं मक्के पर काफी कुछ जानकारी भी ली. इसी दरमियान कार्तिक एवं आर्यन ने बिफोरप्रिंट डिजिटल मीडिया से संपर्क कर उनसे अपनी पूरी आपबीती साझा की. बताते चलें कि कार्तिक एवं आर्यन दोनों आपस में काफी अच्छे दोस्त है.

दोनों के पिता पूर्णिया में ही रहकर अपने बच्चों को अच्छी तालीम भी दी.आज दोनों अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कनाडा में सेटल है.13 साल पहले दोनों पूर्णिया आए थे.दोनों ने तभी से प्लानिंग की थी कि यहां मखाना एवं मक्के की बहुत अच्छी पैदावार होती है तो क्यों नहीं मखाना एवं मक्के को विश्वस्तर पर इसकी पहचान बनाई जाय.इसको लेकर 13 साल बाद पूर्णिया लौटे कार्तिक एवं आर्यन पिछले 15 दिनों से पूर्णिया में रहकर मखाना एवं मक्का पर काम कर रहे है.

दोनों ने बिफोरप्रिंट डिजिटल मीडिया से बातचीत में बताया कि सर मै जब 13 साल पहले यहां आया था और आज 13 साल बाद फिर पूर्णिया आया हूं तो मुझे किसानों की स्थिति में कुछ भी सुधार नहीं दिखा.मै पिछले 15 दिनों से जिले के तकरीबन सभी प्रखंडों के किसानों से मिला हूं तो उन किसानों की बात सुनकर काफी अफसोस हुआ.

क्योंकि मेरे पिता भी किसान है.मुझे बहुत अच्छी तरह से पता है कि फसल से पहले एवं फसल के किसानों की क्या स्थिति रहती है.मै यहां सैकड़ों छोटे मोटे किसानों से मखाना एवं मक्के पर बात की तो उन्होंने बताया कि सर इस धंधे में बिचौलिए एवं ठग बहुत बैठे है.अगर मैं अपना सामान बेचना भी चाहूं तो मुझे भी इन बिचौलियों से बात करनी ही होगी.तभी हम अपना मक्का या मखाना बेच पाएंगे.

कार्तिक एवं आर्यन ने बताया कि किसानों की माली हालात को देखते हुए मैने अपनी कंपनी के तहत जिले के किसानों से मिलकर तकरीबन 400 किसानों को चुना.इन सबों को खेती करने से लेकर रखरखाव तक जो भी खर्च होंगे. उसे मेरी कंपनी सीधे उन किसानों को उनके बैंक खाते में देगी.बदले में उनका जो भी उपज होगा हमारी कंपनी उनसे बाजार मूल्य पर खरीदेगी.इससे किसानों की हालात भी सुधरेगी और मेरी कंपनी के साथ अच्छे संबंध भी रहेंगे.