पूर्णिया/ राजेश कुमार झा। नहीं रहे पूर्णिया कबीर मठ के संस्थापक आचार्य संत धर्मस्वरूप साहेब.सोमवार को सुबह 9.15 बजे उन्होंने पूर्णिया जीवन ज्योति केंद्र कबीर मठ आश्रम में अंतिम सांस ली.देह त्यागने से पहले के वक्त उनके सैकड़ों अनुयायी उनके पास बैठे थे.देह त्यागने से पहले आचार्य संत धर्मस्वरूप साहेब का अंतिम शब्द सब पर कृपा करना बोले और शरीर छोड़ ब्रह्मलीन हो गए।
निधन की खबर सुनते ही पूर्णिया सहित पूरे देश मे शोक की लहर छा गई.जो जहां सुने, वहीं से अपने संत के अंतिम दर्शन को पहुंचने लगे। देखते ही देखते भीड़ सैकड़ों से हजारों में तब्दील हो गई.भारत के अलावे नेपाल सहित कई देशों में रह रहे कबीर के अनुयायी पूर्णिया पहुंचने लगे। आचार्य संत धर्मस्वरूप साहेब ने देह त्यागने से पहले ही जीवन ज्योति कबीर मठ आश्रम की बागडोर जब संत जितेंद्र दास को देने लगे तो वहाँ मौजूद सबों के आंखों से धारा-प्रवाह अश्रु बहने लगे.अपने अनुयायियों का निश्छल प्रेम देखकर आचार्य संत धर्मस्वरूप साहेब काफी भाव-विह्वल हो गए।
उन्होंने सबों को समझाते हुए बोले कि एक-एक दिन सबों को इस नश्वर शरीर को छोड़ कर जाना ही पड़ेगा.मुझे ईश्वर ने जिस उद्देश्य से भेजा था,मैंने किया. बांकी बचे अधूरे कार्यों को संत जितेंद्र दास को पूरा करने की बागडोर दे रहा हूँ। बताते चलें कि आचार्य धर्मस्वरूप साहेब बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे.संस्कृत कॉलेज में आचार्य की नौकरी छोड़ पूर्ण रूप से सत्संगी बन संत कबीर के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का काम करते रहे.वे लोगों से अंधविश्वास,रूढ़िवादी, धार्मिक और साम्प्रदायिक कट्टरता,कर्मकांड और आडम्बरों से लोगों को बचने की सीख देते रहे।
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