पूर्णिया:-12 अगस्त(राजेश कुमार झा)जिला प्रशासन के नाक के नीचे शहर में कुकुरमुत्ते की तरह तकरीबन दर्जनों कोचिंग बिना गाइडलाइन के चल रही है.जहां रोजाना तकरीबन 23 हजार से अधिक छात्र/छात्राएं रोजाना पढ़ने कोचिंग जाती है.लेकिन अधिकतर कोचिंग के पास व्यवस्था नाम की कोई चीज ही नहीं है.यहां तक की कई कोचिंग में छात्राओं के लिए शौचालय तक की भी व्यवस्था नहीं है.
बताते चलें की दिल्ली के एक बड़े कोचिंग में हुए दुर्घटना के बाद केंद्र से लेकर राज्य सरकारों की नींद खुली है.इसी तरह लगता है की जब तक पूर्णिया में कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हो जाती तब तक पूर्णिया जिला प्रशासन की भी नींद नहीं खुलेगी.बताते चलें की पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र में छोटे बड़े मिलाकर कुल 100 से ऊपर कोचिंग संस्थान चल रही है.जहां रोजाना 23 हजार से अधिक छात्र एवं छात्राएं कोचिंग संस्थान में पढ़ने जाती है.
दूसरी तरफ कोचिंग संस्थानों का हाल चाल जानने की कोशिश न तो जिला प्रशासन करती है और न ही जिला शिक्षा विभाग.बताते चलें की नगर निगम क्षेत्र में चल रहे कोचिंग संस्थानों की जांच सही तरीके से जिला प्रशासन या शिक्षा विभाग द्वारा जांच किया जाय तो अधिकतर कोचिंग संस्थानों में ताला लग जाएगा.शहर के कई प्राइवेट बिल्डिंग में कमर्शियल कोचिंग संस्थान चलाया जा रहा है.
जिसकी पूरी जानकारी जिला शिक्षा विभाग और नगर निगम को है.उसके बाबजूद किसी भी तरह कोई कारवाई नहीं हो रही है.कई ऐसे कोचिंग संस्थान है जहां स्टूडेंट्स की भीड़ 300 से अधिक है.लेकिन कोचिंग के अंदर आने और बाहर जाने के लिए सिर्फ एक छोटा सा दरवाजा है.अगर किसी भी दिन कोई भगदड़ मच गई तो न जाने कितनी बड़ी दुर्घटना हो जाएगी.
कई ऐसे कोचिंग संस्थान है जहां सिर्फ नाम का शौचालय बना हुआ है. कोचिंग संस्थानों की साफ सफाई की अगर बात करें तो अधिकतर कोचिंग संस्थानों में ताला लग जाएगा.उसके बाबजूद सभी नियमों को ताक पर रखकर एवं खुलेआम सभी नियमों का धड़ल्ले से उल्लघंन कर लाखों की कमाई कर रही है.लेकिन सुविधा के नाम पर नदारत.