पूर्णिया:-02 मार्च(राजेश कुमार झा)आखिर क्यों नहीं सुलझ रहा है मखाना बोर्ड एवं एयरपोर्ट का मामला.जबकि पूर्णिया एयरपोर्ट एवं मखाना बोर्ड की स्थापना के लिए जिले ने बहुत लंबी लड़ाई भी लड़ी.जिले ने ये भी साबित कर दिया कि पूर्णिया एयरपोर्ट एवं मखाना बोर्ड के लिए बिल्कुल मुफीद जगह है.लेकिन इसके बावजूद भी एयरपोर्ट और मखाना बोर्ड पर ग्रहण क्यों लगा हुआ है.

इसको लेकर बिफोरप्रिंट डिजिटल मीडिया ने जिले के कई बुद्धिजीवियों से बात करने की कोशिश की.बिफोरप्रिंट डिजिटल ने जिले के तकरीबन 100 से अधिक बुद्धिजीवियों से ये जानने की कोशिश की कि आखिर हमारे जिले के पास सब कुछ रहते हुए भी एयरपोर्ट और मखाना बोर्ड को होने में देरी क्यों हो रही है.जबकि पूर्णिया वासियों ने एयरपोर्ट एवं मखाना बोर्ड के लिए बड़ी लंबी लड़ाई लड़े रहे और आज भी लड़ ही रहे है.
इस पर बुद्धिजीवियों ने कहा कि जिले का राजनीतिक इतिहास पर एक बार नजर डालें तो कई बातें अपने आप साफ हो जाएगी.आज भी वही वजह है. यहां के जनप्रतिनिधियों में ही दम नहीं है.जिनके जनप्रतिनिधियों के पास दम था.वो अपना काम करवा लिए.खाली बड़बोलापन से काम नहीं चलेगा.राजनीतिक प्रतिद्वंदिता की वजह से आज तक पूर्णिया ठगा ठगा हुआ महसूस कर रहा है.
जिससे पूरे जिले का विकास ही रुका हुआ है.बताते चलें कि अगर एयरपोर्ट एवं मखाना बोर्ड की हो जाते है तो कम से कम एक लाख से अधिक परिवारों का भरण पोषण हो जाएगा.मखाना बोर्ड होने से जिले के लाखों किसानों का परिवार खुशहाल हो जाएगा.पूरी दुनिया की बड़ी से बड़ी कंपनी सीधे पूर्णिया से बिजनेस का जगह खोजेंगे.जिसके लिए एयरपोर्ट भी बहुत जरूरी है. रोजगार के नए नए अवसर खुलेंगे.