-महिलाओं द्वारा सभी कार्य क्षेत्र में पुरुषों के बराबर किया जा रहा सहयोग:-
-बाल विवाह और दहेज प्रथा की रोकथाम से होगा बेटियों का उत्थान :-
पूर्णिया:- 08 मार्च(राजेश कुमार झा)हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। युनाइटेड नेशन द्वारा 8 मार्च 1975 को महिला दिवस मनाने की शुरुआत की थी। 8 मार्च का यह खास दिन महिलाओं को सम्मान हक एवं सम्मान को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है। बच्चों को महिलाओं के सम्मान करते हुए विभिन्न कार्य क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए जागरूक करने के लिए पिरामल फाउंडेशन स्वास्थ्य के अधिकारियों द्वारा जिले के बायसी प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय, मलहरिया में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस दौरान बच्चों को महिलाओं के सभी कार्यों के लिए उन्हें सम्मानित करते हुए विभिन्न कार्य क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए बच्चों को सीखते हुए उनके तरह जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान विद्यालय प्रधानाध्यापक गोरी ठाकुर के साथ पिरामल फाउंडेशन टीम लीड शोमैन अधिकारी और अन्य सभी शिक्षकगण उपस्थित थे।
महिलाओं द्वारा सभी कार्य क्षेत्र में पुरुषों के बराबर किया जा रहा सहयोग ::–
बच्चों को संबोधित करते हुए पिरामल फाउंडेशन स्वास्थ्य के टीम लीड शोमैन अधिकारी ने कहा कि आज के दौर में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। अगर उन्हें उनके अभिव्यक्ति के लिए आजाद किया जाए तो उनके द्वारा घर-परिवार के दायित्यों, कार्यों को निभाने के साथ साथ ऑफिस या अन्य कार्यों की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रही है।
घर के साथ साथ बाहर के कार्यों में महिलाओं के योगदान की जितनी भी सहारना भी जाए वो कम है। उनके सहयोग के कारण ही हमारा देश आज मंगल ग्रह तक पहुंच सका है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हर परिवार को बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच स्थापित करते हुए उन्हें बेटों की तरह आगे बढ़ने में सहयोग करना चाहिए।
लोगों को पुराने खयालों से बाहर आकर सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने की जरूरत है। हालांकि वर्तमान समय में बेटियों के प्रति सामाजिक स्तर पर बहुत बदलाव हुआ है लेकिन बहुत से क्षेत्रों में सभी और सकारात्मक बदलाव की जरूरत है।
जैसे जैसे लोगों की मानसिकता बदलेगी, बेटियां और आगे बढ़ेगी और हर क्षेत्र में कामयाबी की मिसाल पेश करेंगी। इस दौरान बच्चों द्वारा देश के विभिन्न प्रतिभाशाली महिलाओं में शामिल इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू, आणि बसंत, लता मंगेशकर, मदर टेरेसा आदि की जानकारी दी गई। बच्चों द्वारा इन प्रतिभाशाली महिलाओं के बारे में शिक्षकों और अधिकारियों को किताबों के माध्यम से मिली जानकारी साझा किया गया।
बाल विवाह और दहेज प्रथा की रोकथाम से होगा बेटियों का उत्थान ::—–
विद्यालय प्रधानाध्यापक गोरी ठाकुर ने कहा कि बेटियों के विकास में सहायक बनने के लिए सभी लोगों को लैंगिक हिंसा के विरुद्ध जागरूक होने की जरूरत है।
आज भी हमारे समाज में बहुत से लोगों द्वारा चोरी छुपे जन्म से पहले ही कन्याओं की हत्या की जाती है। जन्म के बाद भी बहुत से कन्याओं को कहीं भी खुले आसमान के नीचे छोड़ दिया जाता है।
बहुत जगह दहेज की जिम्मेदारी को खत्म करने के लिए जन्म के बाद बहुत कम उम्र में बेटियों की शादी करवा दी जाती है। यह सभी लैंगिक हिंसा के विरुद्ध आता है जो बेटियों को आगे बढ़ने से रोक देता है।
मौका मिलने पर आज हर क्षेत्र में बेटियां बेटों से भी आगे बढ़ रहीं हैं। बेटियों को थोड़ा सा सहयोग मिलेगा तो वे बहुत आगे बढ़ सकती है।
इसके लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है जिससे कि बेटियों को मौका मिल सके और वे अपने परिवार के साथ साथ अपने क्षेत्र, अपने देश का नाम आगे कर सके।