पूर्णिया:-17 जनवरी(राजेश कुमार झा) 2023 में दिखने लगी 2024 का घमासान.दही-चूड़ा की भोज ने बढ़ा दी पूर्णिया सहित पूरे सीमांचल की गर्मी.सभी दलों की नजर में सबसे हॉट सीट बन गया पूर्णिया.बताते चलें कि नव वर्ष के आगाज के साथ लोकसभा चुनाव 2024 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है.ज़ाहिर तौर पर पूर्णिया भी इससे अछूता नही है.बात सीमांचल की करें तो पूर्णिया लोकसभा सीट कई मायने में ‘हॉट’ माना जाता है.आसन्न समर 2024 में यूं तो राजनीतिक सिक्के के दो पहलू ही नजर आते हैं,एनडीए और महागठबंधन. लेकिन राजनीतिक हकीकत इससे कहीं दूर हैं.वजह साफ है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दोनों ही गठबन्धन के अंदर ही उम्मीदवारी को लेकर अंदरखाने घमासान मचा हुआ है.
नगर निगम चुनाव और खरमास की समाप्ति के साथ ही संभावित उम्मीदवारों की मंशा भी साफ़ होती नजर आ रही है.इस बात से भी इन्कार नही किया जा सकता कि अंतिम समय मे संभावित उम्मीदवार अपनी सुविधानुसार पाला बदल को अंजाम दे और अप्रत्याशित परिणाम सामने आ जाय.जेडीयू के संतोष कुशवाहा पूर्णिया लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं जो अब महागठबन्धन का हिस्सा है.इत्तफ़ाकन इसी दल में सबसे अधिक उम्मीदवारी के लिए घमासान मचा हुआ है.
धीमे कदमों से ही सही,राज्य सरकार की काबीना मंत्री लेशी सिंह लोकसभा प्रत्याशी के रूप में सशक्त दावेदारी जता रही है. हालांकि वोटों के समीकरण के अनुसार पूर्णिया सीट पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार के अनुकूल ही माना जाता है.महागठबंधन के घटक कांग्रेस से उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह की दावेदारी भी मजबूत मानी जाती है.लेकिन जेडीयू के सीट छोड़ने की स्थिति में ही पप्पू सिंह की मनोकामना पूरी हो सकती है.एनडीए की बात करें तो यहां भी घमासान की स्थिति है.अनुशासित कही जाने वाली पार्टी भाजपा में सदर विधायक विजय खेमका और विधान पार्षद दिलीप जायसवाल के बीच दावेदारी की जंग छिड़ी हुई है.जो स्पष्ट दिखने लगा है.
वहीं बनमनखी भाजपा विधायक कृष्ण कुमार भारती को भी चमत्कार की उम्मीद है.मतलब बिल्ली के भाग्य से छीका टूटने का इंतजार है.रही बात जनअधिकार पार्टी के संरक्षक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की तो कहा जाता है कि वे ख़ुद में एक पार्टी हैं और आजकल उन्हें पूर्णिया खूब भाने लगा है.इस जद्दोजेहद में वे लगातार महागठबंधन के करीब आने के प्रयास में जुटे हुए हैं.चर्चा तो यह भी है कि महागठबंधन में पप्पू यादव की बात नही बनी तो ‘सोलो हीरो’ के रूप में वे ‘ मैदान-ए-जंग’ में हो सकते हैं और किसी बड़े उलट-फेर के कारण बन जाएं तो आश्चर्य नही होना चाहिए.