पूर्णिया : काल उसका क्या बिगाड़े… जो भक्त है महाकाल का…हर-हर महादेव की ध्वनि से गूंज उठा शिवालय…पढ़ें शिव को क्यों चढ़ाते भांग,धतूरा

पूर्णियाँ

पूर्णिया:-18 फरवरी(राजेश कुमार झा) देशभर में आज महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है.जिले के सभी शिवालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी जा रही है.भगवान भोले शंकर, बाबा महाकाल और बाबा भुत नाथ की अराधना करने के लिए शिव मंदिरों में भारी भीड़ है.हर-हर महादेव और बम-बम भोले के जयकारों से जिले के सभी शिवालय गूंज उठे हैं.इस पावन दिन पर भगवान शंकर को जल,बेलपत्र,दूध आदि चढ़ाए जाने की पौराणिक परंपरा है.

शिवालयों में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है.हर-हर महादेव के जयघोष से गांव से लेकर शहर तक सभी शिवालय गुंजायमान है.जिले में सभी शिवालयों को जम कर सजाया गया है.शिवालयों की चकाचौंध तो देखते बन रही है. सभी शिवालयों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक कर अपने सुख शांति और समृद्धि की कामना कर रह हैं.जगह-जगह शिव विवाहोत्सव तथा शिव बारात की झांकी निकालने की तैयारियां चल रही हैं.

मंदिरों को आकर्षक तरीके से सजाया गया है.सुबह से ही लोग मंडप निर्माण और इसकी सजावट में लगे हैं. अनेक स्थानों पर अष्टयाम संकीर्तन का आयोजन चल रहा है.जगह जगह नाटक मंचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों की तैयारियां भी साथ-साथ चल रही हैं.

जानें शिव को क्यों चढ़ाया जाता है भांग एवं धतूरा…

शिव उपाशको के मन में उनके प्रति भ्रांतिया भी खूब है इसलिए शिव की साधना के नाम पर ही अशिव आचरण होते रहते है।भ्रांतियों का निवारण करने हेतु शिव की गरिमा के अनुरूप उनके स्वरूप पर जन आस्थाएं स्थापित की जा सके और अशिव,निशिली वस्तुओ का त्याग करने का संकल्प लेते है और इसी के अंतर्गत भांग,धतूर आदि यह कहकर शिव को समर्पित करते है कि है प्रभु ये अशिव वस्तुए हमे नहीं चाहिए ये आप ही के लिए उपयुक्त है.पहले दिन चौबीस घंटे का व्रत रखकर दूसरे दिन प्रातः शिव मंदिर में जलाभिषेक कर पारण करते है.इस दिन शिव मंदिरों में शिव विवाह का विशेष आयोजन किया जाता है.शिव संसार के आदि पुरुष है जीवो के कल्याण के लिए इनका प्रादुर्भाव हुआ.

उन्हें प्रसन्न करने के लिए मानव को उनके अनुरूप ही बनना पड़ता है इसलिए कहा गया है शिवो भुत्व शिवम् यजेत.शिव विवाह को महाशिवरात्रि भी कहते है शिव माँ पार्वती के प्रतिवर्ष होने वाले इस प्रजापत्य विवाह से ही आज विवाह संस्कार किये जा रहे है.यह विवाह हमें पूर्व में किये जाने वाले सभी विवाहों में मानव जाति को मानव जीवन की सार्थकता को सिद्ध करने, अनुशासन व शिष्टाचार को बनाये रखने व मानव को मानव से प्रेम व सदभाव के प्रति जोड़े रखने का यह पर्व हमें सनातन धर्म के प्रति आकर्षित अनादि काल से करता आ रहा है.