पूर्णिया (राजेश कुमार झा) : कहते है आंखे तो सबके पास होती है,लेकिन नजर सबके पास नहीं होती, उसी तरह शिक्षा तो सबों के पास है,लेकिन ज्ञान हर कोई नहीं बांट पाता है। इस बात को चरितार्थ करती पूर्णिया जिले की एक तस्वीर।
जिसने ये साबित कर दिया कि अगर आप शिक्षित है तो समाज में ज्ञान जरूर बांटे, बताते चलें कि जिलापदाधिकारी राहुल कुमार के अभियान किताब दान के सार्थक पहल का असर आज समाज में साफतौर पर देखने को मिलने लगा। बताते चलें कि पूर्णिया पूर्व प्रखंड पुस्तकालय की मदद से आज बेलौरी से सटे एक महादलित बस्ती में छठिया देवी ने शिक्षा का जो अलख जगाई, उसे देख पूरा समाज उस महिला का कायल हो गया है।
उस महिला मजदूर छठिया देवी के जुनून को देख कर जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता कुमार आदित्य ने महिला छठिया देवी से मुलाकात कर भरपूर सहयोग देने के लिये पहल कर रहे है। बताते चलें महादलित समाज से आने वाली इस महिला को पढ़ने की बहुत इच्छा थी, लेकिन सवाल ये था कि किनसे पढ़ें और कहां पढ़ें। आज से तकरीबन दो साल पहले उसे किसी ने बताया कि पूर्णिया पूर्व प्रखंड में डीएम साहब ने फ्री में एक पुस्तकालय खोले है।
जहां मुफ्त में पढ़ाई के साथ-साथ मुफ्त में पढ़ने के लिए किताबें भी दी जाती है.बस क्या था मजदूर छठिया देवी को इतना सुनते ही मानो पंख लग गए। उसके बाद छठिया देवी को जब फुर्सत मिले तब लाइब्रेरी जाकर पढाई करती थी, उसके बाद घर आकर अपने बच्चों को ककहरा सिखाने लगी, धीरे-धीरे छठिया देवी के इस जुनून को देखकर महादलित बस्ती की महिलाएँ भी छठिया देवी से पढ़ने लगी और आज छठिया देवी 60 महिलाओं को महादलित बस्ती ने प्रत्येक दिन पढ़ाती है। गौरतलब है इस कि छठिया देवी को इसके लिये कोई मेहनताना नहीं मिलता है।
छठिया देवी कहती है कि साहब हम नहीं पढ़े तो मजदूरी करना पड़ा,लेकिन हमारे बच्चों को हम मजदूर बनने नहीं देंगे.इसी संकल्प के साथ महादलित बस्ती की महिलाएं पूरी तरह जागृत होकर खुद मजदूरी कर पढ़ने का समय निकाल कर पढ़ती है और घर जाकर अपने बच्चों को पढ़ाती भी है.पढ़ाई कर रही गुनिया देवी,रेखा देवी कहती है कि आज के समय में शिक्षा का क्या मोल है,इसे हमलोग पढ़कर समझ पाए है.