केस से नाम हटाने को लेकर पीड़ित से घुस लेते निगरानी के हत्थे चढ़ा एसआई और उसका दलाल
कटघरे में खड़ा फ्रेंडली पुलिस
सवाल क्या दलाल के इशारों पर चलता है थाना
पूर्णिया, राजेश कुमार झा। पूर्णिया मुख्यालय के सदर थाना के सामने चाय दुकान से सदर थाना के एसआई सन्तोष कुमार और उसके एक दलाल के द्वारा पीड़ित से 40 हजार रुपये घुस लेने के एवज में निगरानी की टीम के द्वारा गिरफ्तार मामले ने फ्रेंडली पुलिस के सामने कई सवाल खड़े कर दिए है. बताते चलें कि के0 नगर थानाक्षेत्र की रहने वाली सुनीता देवी ने निगरानी विभाग को लिखित शिकायत की थी कि सदर थाना का एसआई सन्तोष कुमार ने एक मामले में केस से नाम हटाने को लेकर 40 हजार रुपया मांग रहा है.
रुपये लेने के लिये एसआई सन्तोष कुमार ने ऐनुल उर्फ सोनू नाम का एक दलाल को मेरे घर पर भेजा. निगरानी विभाग को पीड़िता के द्वारा लिखित शिकायत मिलने के बाद तुरंत हरकत में आ गई और सदर थाना में पदस्थापित एसआई सन्तोष कुमार और उसके दलाल के हर मूवमेंट पर नजर रखने लगी. निगरानी को जानकारी मिली कि मंगलवार को सुबह 7 बजे दलाल ऐनुल उर्फ सोनू ने पीड़िता सुनीता देवी को 40 हजार रुपया लेकर सदर थाना के सामने चाय दुकान पर बुलाया और रुकने के लिये कहा.
पीड़िता सुनीता देवी 40 हजार रुपया लेकर ठीक 7 बजे सदर थाना के सामने चाय दुकान पर पहुंच गई. उसके बाद सुनीता देवी ने ऐनुल उर्फ सोनू को फोन कर सूचना दे दी. तकरीबन 45 मिनट के इंतजार के बाद दलाल ऐनुल उर्फ सोनू और एसआई सन्तोष कुमार सदर थाना के सामने चाय दुकान पर पहुंच गए. दलाल ऐनुल उर्फ सोनू ने पीड़िता सुनीता देवी से 40 हजार रुपया लेकर 30 हजार एसआई सन्तोष को और 10 हजार स्वंय रख लिया. रुपया जेब में रखते ही पहले से घात लगाए निगरानी की टीम ने धर-दबोचा और अविलंब गिरफ्तार कर लिया.
मामले की जानकारी देते हुए निगरानी के डीएसपी संजय कुमार और आदित्य ने बताया कि इनकी शिकायत मिलने के बाद हमलोग इन्हें रंगेहाथ पकड़ना चाह रहे थे. एसआई की गिरफ्तारी के बाद पूर्णिया पुलिस महकमे में खलबली मच गई. पदाधिकारी से लेकर कोई भी कुछ भी बोलने से परहेज करते दिखे. गौरतलब है कि केस में नाम हटाने को लेकर जिस तरह डिमांड किया जाता है.
उससे दोषियों के मनोबल तो जरूर बढ़ेगा और फ्रेंडली पुलिस पर से लोगों का विश्वास धीरे-धीरे उठ जाएगा. गौरतलब है कि एसआई सन्तोष और दलाल की गिरफ्तारी ने समाज के सामने एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा दिया कि क्या दलाल के इशारों पर चलता है थाना.