पूर्णिया/राजेश कुमार झा। इन्हें न तो है कानून का डर और न ही है निगरानी का भय। ये कब ऑफिस आते है,कब जाते है, कोई नही जानता। इन्हें मतलब रहता है तो सिर्फ अपने चहेते ठीकेदारों से। सबसे बड़ी बात इन्हें अपने ग्रामीण कार्य विभाग चल रहे विभागीय कार्यों की जानकारी भी इन्हें अपने विभाग के अधीनस्थ कर्मचारियों से मिलती है। इनके पास तो इतना भी वक्त नहीं है कि अपने विभाग में चल रहे कार्यों की समीक्षा भी करें।
ये शख्स है बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी के बड़े भाई और पूर्णिया जिले के ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक सह अधीक्षण अभियंता अरविंद चौधरी। इनके रसूख और दबंगई के आगे सुशासन बाबू भी नतमस्तक दिख रहे है। बताते चलें कि अरविंद चौधरी पूर्णिया के बायसी अनुमंडल में ग्रामीण कार्य विभाग में बतौर कार्यपालक अभियंता पद पर कार्यरत थे। कार्यपालक अभियंता रहते इन्होंने चहेते ठीकेदारों की एक लॉबी बना ली, जिनको हर तरह का लाभ ये देते रहे और लेते भी रहे।
इसके बाद मार्च 2022 में ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व अधीक्षण अभियंता को कार्यकाल समाप्त होने के पहले ही दूसरे जगह ट्रांसफर कर अरविंद चौधरी को अतिरिक्त प्रभार देते हुए ग्रामीण कार्य विभाग का अधीक्षण अभियंता बना दिया गया। जबकि जिले में धमदाहा अनुमंडल में कार्यरत एक कार्यपालक अभियंता जो कि अरविंद चौधरी से भी सीनियर थे, उन्हें प्रभार नहीं दिया गया।
इस वजह से सीनियर रहते हुए भी इनको अपने जूनियर के नीचे काम करना पड़ रहा है। बताते चलें कि ये वही अरविंद चौधरी है, जिन पर जनवरी 2009 में ग्रामीण कार्य विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव रहे अजय कुमार को रिश्वत देने के जुर्म में निगरानी विभाग ने इस पर मामला दर्ज किया था। इनका मामला अभी तक लंबित है।
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