समस्तीपुर, अशोक “अश्क” जिले के विभूतिपुर प्रखंड स्थित अपग्रेड हाई स्कूल गंगौली मंदा में मिड-डे मील चावल की कालाबाजारी का मामला सामने आया है। कुछ स्थानीय लोगों ने गुरुवार को स्कूल के क्लासरूम से चावल की बोरियां एक पिकअप गाड़ी पर लोड किए जाने का वीडियो बना लिया। इस घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और बड़ी संख्या में ग्रामीण स्कूल परिसर में एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन करने लगे।
गुरुवार को स्कूल के पास रहने वाले स्थानीय ग्रामीण रंजीत कुमार मेहता ने देखा कि एक खाली पिकअप गाड़ी स्कूल के परिसर में आई और क्लासरूम में रखे चावल को गाड़ी में लोड किया जाने लगा। उन्होंने तुरंत इसका वीडियो बनाना शुरू किया और मजदूरों से सवाल पूछे। इस पर मजदूर घबरा गए और चावल लोड करना बंद कर दिया।
वहीं, पिकअप चालक भी गाड़ी लेकर मौके से भाग गया। इस दौरान स्कूल के शिक्षक और प्रधानाध्यापक ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। ग्रामीणों ने जब सवाल पूछे तो प्रधानाध्यापक सुभाष चंद्र महतो ने कहा कि यह चावल दूसरे स्कूल का है और उसे वहां पहुंचाने के लिए रखा गया था।
हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि अगर यह चावल वैध तरीके से ले जाया जा रहा था तो गाड़ी अधूरी लोडिंग के बाद क्यों भाग गई और चावल वहीं क्यों छोड़ दिया गया। वीडियो वायरल होने के बाद ग्रामीणों का आक्रोश और बढ़ गया। लोगों का कहना है कि स्कूल प्रशासन लगातार एमडीएम चावल की कालाबाजारी कर रहा है।
घटना की जानकारी मिलते ही एमडीएम प्रभारी रिपु सूदन मौके पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू की। उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि दोषी पाए जाने पर संबंधित लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद ग्रामीण शांत हुए। प्रधानाध्यापक सुभाष चंद्र महतो ने बताया कि बुधवार शाम को एमडीएम चावल स्कूल में लाया गया था।
उन्होंने दावा किया कि चावल सुरौली विद्यालय का था, जिसे गाड़ी के देर से आने और स्कूल बंद होने के कारण अस्थायी रूप से यहां रखा गया। सुबह इसे दूसरे वाहन से सुरौली विद्यालय ले जाने की प्रक्रिया चल रही थी।
ग्रामीणों ने इस घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सजा देने की मांग की है। उन्होंने प्रशासन से यह भी आग्रह किया है कि स्कूलों में एमडीएम चावल के वितरण की प्रक्रिया पारदर्शी बनाई जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। समस्तीपुर जिले में एमडीएम चावल की कालाबाजारी का यह मामला शिक्षा व्यवस्था और प्रशासन पर सवाल खड़ा करता है।
ग्रामीणों का आक्रोश इस बात को दर्शाता है कि वे भ्रष्टाचार को लेकर सतर्क हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।