समस्तीपुर, अशोक “अश्क” केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री डॉ. राजभूषण चौधरी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर अब प्रत्यक्ष रूप से दिखने लगा है। ऐसे में किसानों को कृषि की नई वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाने की जरूरत है, जिससे कम लागत में अधिक आमदनी प्राप्त की जा सके। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार हर संभव प्रयास कर रही है,

लेकिन इसकी शत-प्रतिशत सफलता किसानों की जागरूकता पर निर्भर करती है। वे रविवार की देर शाम डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किसान मेले के दूसरे दिन सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने ग्राउंड वाटर में लगातार हो रही कमी पर चिंता जताई और कहा कि इसका समाधान कम उपयोग एवं रिचार्जिंग के माध्यम से किया जा सकता है।
इसके लिए सामूहिक प्रयास और सिंचाई की नई तकनीकों को अपनाना आवश्यक है। डॉ. चौधरी ने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही अटल भूजल योजना और पीएम कृषि सिंचाई योजना जैसी कई योजनाएं किसानों के लिए संजीवनी साबित हो सकती हैं।
उन्होंने बताया कि कई राज्यों में लोग ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिए विशेष संरचनाएं बना रहे हैं, जिससे यह एक जनआंदोलन का रूप ले चुका है। यह पहल जल संरक्षण और भूजल स्तर सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक देश को विकसित भारत बनाने के लिए सकल व्यक्ति आय को छह गुना बढ़ाना होगा, जिसमें कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
किसानों को आधुनिक तकनीक और जल संरक्षण के उपायों को अपनाकर अपनी आय बढ़ाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। इस अवसर पर सीबी रमण विश्वविद्यालय, वैशाली के कुलपति डॉ. एमएल गौड़ ने प्राकृतिक संसाधनों के समुचित उपयोग पर जोर दिया और कहा कि इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पीएस पांडेय ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए आगामी योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम का स्वागत निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. मयंक राय ने किया, संचालन डॉ. कुमारी अंजनी ने किया, और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. फूलचंद ने किया।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय कुमार, डीन डॉ. पीपी श्रीवास्तव, डॉ. पीपी सिंह, डॉ. अमरेश चंद्रा, डॉ. उषा सिंह समेत कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। इस दौरान कृषि से संबंधित कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।