समस्तीपुर, (दीपक कुमार सिंह) बेरहम प्रकृति ने इस बार किसानों के साथ धोखा-धड़ी कर दी है। अपनी खेतों में तो किसानों ने जिले की प्रमुख फसलों में एक धान सहित अन्य प्रकार की फसल खेतों में तो लगा दिया, लेकिन मौसम की मार से यह सभी अर्ध मूर्छित अवस्था में आ गए हैं। किसानों का बताना है कि इस बार वर्षा कम होने के कारण धान की फसल पूरी तरह सूखने के कगार पर पहुंच गई है।
हालांकि सिंचाई के अभाव मे लहलहा रही हरी सब्जियों के पौधे भी अब पीले पड़ते जा रहे हैं। किसानों का बताना है कि इसी कारण से बाजार में हरी सब्जी यो काफी महंगी कीमत पर जरूरतमंद लोगों को खरीदना पड़ रहा है।
जानकारी लेने पर बहुत सारे किसानों ने बताया कि इस बार आकाश में बदल तो दिखाई पड़ते हैं लेकिन धरती पर इसका असर नगण्य दिख रहा है।
किसानों का बताना है कि इस बार पहले से ही इतनी अधिक गर्मी का प्रकोप देखा गया है जिससे मामूली रूप से होने वाली बूदाबांदी का असर कोई भी लगाई गई खेतों पर नहीं देखा जा रहा है। बताया गया है कि धान की फसल के लिए खेतों में अगर पर्याप्त मात्रा में वर्षा का पानी अथवा सिंचाई नहीं की जाती है तो धान के पौधे से दाना निकालना संभव नहीं है।
ऐसी स्थिति में आधा सावन का महीना बीत गया और अच्छी वर्षा होने के बजाय मात्र बूंदाबांदी से फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं किसानों का यह भी कहना है कि जिस खेतों में सिंचाई के लिए किसान अपने स्तर से बोरिंग भी लगा रखा है, वह भी इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त बिजली संकट के कारण हाथी के दांत साबित हो रहा है।
किसानों का यह भी आरोप है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के समय मैदान में उतरे सभी पार्टी के प्रत्याशियों द्वारा यह कहा जा रहा था कि आपकी सभी समस्याओं का समाधान सरकार बनने पर कर दिया जाएगा। लेकिन धरातल पर सभी आश्वासन और वादा हवा हवाई होता हुआ दिख रहा है। अगर यही स्थिति रही और खेतों में लगाई गई फसलों के अनुरूप वर्षा नहीं हुई तो खरीफ फसलों क अलावा रब्बी की फसलों पर भी इसका बिल्कुल ही प्रतिकूल पड़ने से भी कतई इनकार नहीं किया जा सकता है।