अशोक “अश्क” बिहार में सरकारी स्कूलों में बच्चों के अधिक वजन की समस्या बढ़ रही है, जिसे लेकर अब एक बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य के विभिन्न स्कूलों में बच्चों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) जांचा गया, जिसके परिणामस्वरूप यह सामने आया कि सामान्य दुबले बच्चों के मुकाबले अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। खासतौर पर मुजफ्फरपुर और पूर्णिया जिलों में बीएमआई टेस्ट कराए गए, जहां अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ी है।
बीएमआई जांच के परिणामों को लेकर अब राज्य सरकार ने बच्चों के पोषण स्तर का तुलनात्मक अध्ययन करने का निर्देश दिया है। मुजफ्फरपुर समेत सभी जिलों में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का बीएमआई टेस्ट कराया जाएगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनकी शारीरिक स्थिति क्या है और उन्हें किस तरह के पोषण की जरूरत है। इसके लिए यूनिसेफ और स्वास्थ्य विभाग की मदद ली जाएगी।
बच्चों के बढ़ते वजन को देखते हुए अब सरकार ने मध्याह्न भोजन योजना में बदलाव करने का निर्णय लिया है। विभाग का कहना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में से अधिकांश को अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता है। इस दिशा में स्कूलों में प्रतिदिन के भोजन मैन्यू में बदलाव किया जाएगा, जिसमें स्थानीय स्तर पर उपलब्ध ताजे साग-सब्जियों को भी शामिल किया जाएगा।
मध्याह्न भोजन निदेशक को इस बदलाव को लागू करने का निर्देश दिया गया है, और स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारी (डीईओ और डीपीओ) को इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस योजना के तहत हर महीने बच्चों के बीएमआई की जांच की जाएगी, ताकि यह आकलन किया जा सके कि उनकी शारीरिक स्थिति में कोई बदलाव आया है या नहीं। इसके जरिए यह भी समझने की कोशिश की जाएगी कि क्या बदलाव से बच्चों के मोटापे में कमी आई है और क्या पोषण स्तर में सुधार हुआ है।
बीएमआई टेस्ट से यह भी पता चलेगा कि बच्चों को किस तरह की खुराक की जरूरत है और उन्हें किस प्रकार के आहार की आपूर्ति की जाए। प्रत्येक बच्चे की पोषण संबंधी जरूरत अलग-अलग होती है, जबकि मध्याह्न भोजन योजना में एक ही प्रकार का भोजन सभी बच्चों को दिया जाता है। बीएमआई की जांच से यह जानकारी मिल सकेगी कि बच्चे का वजन लंबाई के हिसाब से सही है या मोटापा है, और इसके आधार पर उन्हें उपयुक्त भोजन उपलब्ध कराया जा सकेगा।
यह कदम बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, खासकर उन बच्चों के लिए जिन्हें अतिरिक्त पोषण की जरूरत है। राज्य सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है, और स्कूलों में बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इस योजना को जल्द लागू करने की योजना है।