शारदीय नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा एवं उनके नौ रूपों की अराधना कर उन्हें प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है- पंडित अरुण

समस्तीपुर

समस्तीपुर, डेस्क। नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा और उनके 9 रूपों की आराधना और उन्हें प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है। आश्विन माह की शारदीय नवरात्रि को इसके लिए पूरे साल का सर्वोत्तम समय माना गया है। इस साल शारदय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर, से हुई है। आज शनिवार 5 अक्टूबर, को नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज के दिन माता चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान है।

यह बताना है आचार्य पंडित अरुण झा का। बिहार अलावा कई अन्य राज्यों के लोग भी इनकी विद्वता श्री लाभान्वित हो रहे हैं। इधर यह बताते चले की नवरात्रा का पूजा शुरू होते ही पूरे जिले के आस्थावान लोगों के बीच मां दुर्गा को प्रसन्न कने के लिए अपने-अपने तरह से आराधना शुरू कर दिया गया है।

सुबह से ही मां दुर्गा के मंदिरों के अलावा अस्थाई तौर पर स्थापित की गई पूजा पंडालों से लाउडस्पीकर पर दुर्गा जी के गीतों से माहौल गुंजायमान हो रहा है। शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी मां दुर्गा की प्रतिमाएं पूजा पंडालो में स्थापित कर प्रतिमा को जीवंत रूप देने का हर संभव प्रयास कलाकारों द्वारा किया जा रा है।

बताया गया है कि कल पंडालो में मां दुर्गा की जो प्रतिमा है बनाई गई है उसके लिए दूसरे प्रदेश से कलाकारों को बुलाया गया है। होड़ मची हुई है कि हम प्रतिमाओं को एकदम जीवंत रूप रूप देकर श्रद्धालुओं के समक्ष अर्पित करें। इधर बहुत सारे लोग अपने-अपने घरों में भी कलश स्थापना कर पूजा पाठ में लगे हुए हैं।

जो लोग सक्षम है वह तो अपने दुर्गा का पाठ कर लेते हैं लेकिन बहुत सारे लोग पंडितों के द्वारा भी मां दुर्गा का संपूर्ण पाठ करा रहे हैं। जानकार पंडितों का बताना है कि 6 महीना पूर्व से ही यजमाओं द्वारा उनकी बुकिंग शुरू कर दी गई थी।

समस्तीपुर प्रखंड के अंतर्गत एक गांव है रानी टोल। इस गांव मैं अधिकांश आबादी ब्राह्मणों की है जिनका मुख्य पेशा पूजा पाठ करने का ही है ।सैकड़ो वर्ष से यह सभी यही काम करके अपना रोजी-रोटी चलाते आ रहे हैं। यही के एक पंडित है आचार्य अरुण झा। बनारस से पंडिताई की शिक्षा दीक्षा लेकर यह अपने पुश्तैनी धंधे से जुड़ गए हैं।

इनका बताना है कि दुर्गा पूजा के ही अवसर पर इनकी इतनी अच्छी कमाई हो जाती है कि सालों भर इसकी आमदनी से परिवार को काफी सुख में तरीके से निर्वहन कर रहे हैं। बिहार के अलावा अन्य राज्यों में भी अपने इस विद्वता का लाभ कराते आ रहे हैं।

आचार्य अरुण झा का बताना है कि इस दुर्गा पूजा के समय हुए लगभग दो दर्जन अन्य जानकार पंडितों को भी अपने साथ रखते हैं जो अन्य यजमानों के यहां जाकर पूजा पाठ करने का काम कर रहे है। इनका यह भी बताना है कि आज के वक्त में भले ही लोग जाति-पात में बंट गए हो लेकिन हिंदू त्योहारों के वक्त या पूजा पाठ के समय सभी सनातन धर्म के हिसाब से ही ईश्वर की आराधना करते हैं। ‌‌।