सासाराम अरविंद कुमार सिंह : प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी एवं राशन दुकानदारों की मनमानी से उपभोक्ता परेशान है। प्रखंड नगर में कई जगहों पर जांच के नाम पर कुछ चुने हुए दुकानों के ही जांच आपूर्ति पदाधिकारी करते हैं और कई दुकानों पर मेहरबान दिखाई देते हैं। राशन उपलब्ध कराने में जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों की मनमानी और अधिकारियों की उदासीनता के कारण उपभोक्ता त्रस्त हैं। सरकार ने बीपीएल परिवारों के लिए जन वितरण प्रणाली दुकानदारों के माध्यम से राशन दे रही है। प्रधानमंत्री कल्याण योजना के तहत गरीब परिवारों को चावल उपलब्ध मुफ्त में करा रही है। वही सभी लाभुकों को 1 किलो गेहूं और 4 किलो चावल माह में दी जाती है।
जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों की मनमानी और प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी की मिलीभगत के कारण उपभोक्ताओं को उचित राशन नहीं मिलती। उपभोक्ता परेशान रहते हैं। कहां शिकायत करें ।जब कि समाचार पत्रों में हमेशा ही विज्ञापन निकलता है कि किसी भी उपभोक्ता को अगर शिकायत हो तो इस नंबर पर संपर्क करें सूचना दें ।लेकिन यहां की स्थिति ऐसी हो गई है कि विज्ञापन में दी गई नंबर पर नंबर पर शिकायत की जाती है तो स्थानीय अधिकारियों को जांच को लिखा जाता है। जो कि जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों से मिले हुए हैं और हमेशा ही रिपोर्ट गलत भेज करके शिकायत करने वाले उपभोक्ताओं को प्रशांत की जाती है।
पौष मशीन की आड़ में दुकानदार करते हैं उपभोक्ताओं का शोषण। सरकार ने जन वितरण प्रणाली दुकानदारों को पौष मशीन दे करके कहा है कि उपभोक्ता अंगूठा लगाएंगे तो रसीद उपभोक्ताओं को देंगे। जिसमें जितनी राशि और जितना मात्रा लिखी होगी उतना राशन लेंगे और उतनी राशि देगे। लेकिन जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों की पौष मशीन से पर्ची नहीं निकलती है। केवल मशीन खट खट से करके रह जाती है और उसका रसीद नहीं निकलती अगर निकलती भी है तो नहीं दी। दुकानदार की मर्जी से राशन दी जाती है। कई लाभुकों भगा दिया जाता है कि आपका अजान नही आया है। या आपका राशन इस बार नहीं आया है ।आधार कार्ड से नंबर लगाने के बाद उपभोक्ताओं को कहा जाता है कि आपके यहां यूनिट में आधार शो नहीं कर रहा है। इसलिए आपको दो यूनिट कम राशन मिलेगी ।उपभोक्ता को संतोष कर लेते हैं कि चलो जो कुछ मिला है। लिया जाए क्योंकि शिकायत करने पर अधिकारी सुनेंगे नहीं उनकी जो कि मिलीभगत है।
प्रखंड के जनवितरण दुकानदारों को एक समान राशन उपलब्ध नहीं कराई जाती है नगर परिषद एवं प्रखंड में जन वितरण प्रणाली की दुकानों को चावल एवं गेंहू की कम दी जाती है और कहा जाता है कि ऊपर से ही आपूर्ति काट कर दी गई है। इसमें प्रधानमंत्री चावल योजना देने में काफी मनमानी दिखाई दे रही है। अधिकारी करते हैं उपभोक्ताओं को परेशान। अगर कोई उपभोक्ता अगर अपने राशन में कम या न मिलने की शिकायत स्थानीय अधिकारियों से करता है तो अधिकारी उस व्यक्ति की शिकायत की सूचना जनवितरण दुकानदारों को दे देते हैं। यहां पर जन वितरण प्रणाली दुकानदार उसे धमकी देना या किसी तरीके से परेशान करना शुरू कर देता है। राशन कार्ड वैसे उपभोक्ता होते हैं जो कमजोर अक्षम होते है। जब कि जन वितरण प्रणाली दुकानदार अधिकारी आगे कुछ बोल नहीं पाते। अनियमितता के कारण उपभोक्ता परेशान है।
जन वितरण प्रणाली की दुकानों को अपात्र लिखने के लिए भी अधिकारी कह देते हैं। वैसे उपभोक्ता जो कि साधन संपन्न है जिन्हें पक्का मकान गाड़ी है उन्हें अपात्र की श्रेणी में रखा गया है। यह राशन नहीं दी जाती। जोकि इसकी पहचान भी जन वितरण प्रणाली की दुकानदार को करने के लिए अधिकारी कह देते हैं। जो उपभोक्ता शिकायत करते हैं उन्हें अपात्र लिख दी जाती है ।भले ही उनके पास गाड़ी मकान कुछ भी ना हो। जन वितरण दुकानदार उसे गाड़ी और मकान दिखा करके उसे अपात्र कर देते हैं। जिसके कारण कोई बोल नहीं पाता। अधिकारी से कहने पर भी जनवितरण दुकानदारों के ही बात का समर्थन करते हैं। जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों के वजन मशीन भी गलत है। सरकार ने माप तौल विभाग को वजन करने के लिए लाइसेंस दे रखा है। कहने के लिए तो इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीन रखा गया है। लेकिन के जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों का वजन करने वाला इलेक्ट्रॉनिक मशीन वजन कम बताता है। 10 किलो की जगह 8 किलो या 8:500 किलो होती है। कोई उपभोक्ता 30 किलो वजन लेता है यो अगर दूसरे तराजू पर जांच करने जाते हैं तो उनको 25 से 28 किलो ही होता है
पौष मशीन की आड़ में दुकानदार करते हैं उपभोक्ताओं का शोषण। सरकार ने जन वितरण प्रणाली दुकानदारों को पौष मशीन दे करके कहा है कि उपभोक्ता अंगूठा लगाएंगे तो रसीद उपभोक्ताओं को देंगे। जिसमें जितनी राशि और जितना मात्रा लिखी होगी उतना राशन लेंगे और उतनी राशि देगे। लेकिन जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों की पौष मशीन से पर्ची नहीं निकलती है। केवल मशीन खट खट से करके रह जाती है और उसका रसीद नहीं निकलती अगर निकलती भी है तो नहीं दी। दुकानदार की मर्जी से राशन दी जाती है। कई लाभुकों भगा दिया जाता है कि आपका अजान नही आया है। या आपका राशन इस बार नहीं आया है ।आधार कार्ड से नंबर लगाने के बाद उपभोक्ताओं को कहा जाता है कि आपके यहां यूनिट में आधार शो नहीं कर रहा है। इसलिए आपको दो यूनिट कम राशन मिलेगी ।उपभोक्ता को संतोष कर लेते हैं कि चलो जो कुछ मिला है। लिया जाए क्योंकि शिकायत करने पर अधिकारी सुनेंगे नहीं उनकी जो कि मिलीभगत है।