सासाराम /अरविंद कुमार सिंह। कृषि विज्ञान केंद्र विक्रमगंज, रोहतास में वर्मी कंपोस्ट उत्पादन तकनीकी एवं विपणन विषय पर प्रसार कार्यकर्ताओं हेतु पांच दिवसीय प्रशिक्षण की शुरुआत की गई। जीविका सूर्यपुरा एवं काराकाट की 40 भीआरपी ने इस कार्यक्रम के अंतर्गत आज पंजीकरण कराया। पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान आर के जलज द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आर के जलज ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट उत्पादन से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा एवं उत्पादित उत्पाद गुणवत्ता युक्त एवं स्वास्थ्य वर्धक प्राप्त होता है। साथ ही मृदा एवं पर्यावरण प्रदूषण से भी राहत मिलती है। आजकल असंतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने से कई तरह की पौधों में समस्याएं पैदा होती है। जिस के नियंत्रण हेतु अनेक कीटनाशक का प्रयोग और असंतुलित मात्रा में होता है जो मानव के साथ-साथ अन्य जीवो पर सीधे प्रभाव डालते हैं। जिसके दुष्परिणाम से मिट्टी, पानी एवं वायु सभी प्रदूषित हो जाते हैं।
इससे बचाव के लिए जैविक एवं प्राकृतिक खेती की तरफ हमें बढ़ने की जरूरत है। इसमें वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन एक जन कल्याणी कार्य साबित होगा और इसे बढ़ाने के लिए हमें सार्थक प्रयास करना चाहिए। इस मुहिम में जीविका दीदीयों का अहम रोल है क्योंकि गांव में वह स्वयं वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन कर, ग्रामीणों को प्रोत्साहित कर सकती हैं। कंपोस्ट उत्पादन कर प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ सकते हैं। मृदा वैज्ञानिक डॉ रमाकांत सिंह ने वर्मी कंपोस्ट उत्पादन हेतु आवश्यक सामग्री उसका उपयोग एवं प्रबंधन पर जानकारी दी साथ ही फसलों में प्रयोग विधि पर प्रशिक्षण दिया।
डॉ सिंह ने वर्मी कंपोस्ट का भौतिक, जैविक एवं रासायनिक गुण तथा उसका मृदा , पानी एवं पर्यावरण के प्रभाव पर प्रशिक्षण दिया। डॉ रतन कुमार उद्यान वैज्ञानिक वर्मी कंपोस्ट का फल, फूल एवं सब्जी उत्पादन पर प्रभाव की विस्तार पूर्वक चर्चा की। हरेन्द्र कुमार ने वीडियो के माध्यम से किसानों को वर्मी कंपोस्ट उत्पादन हेतु उत्साहित किया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र से वर्षा कुमारी, सुवेश कुमार सहित जीवका से प्रियदर्शनी कुमारी, कल्पना सिंह सहित कुल 42 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया।
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