Arvind Kumar Singh: सभी का पेट भरने वाले किसान अपनी फसल को बचाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं और यूरिया खाद के लिए पुलिस के लाठी खा रहे हैं। किसानों को यूरिया खाद न मिलने के कारण के फसल खराब हो रही है। किसानों के कलेजा फटा जा रहा है। किसान कहते हैं कि यह धरती मेरी मां बाप है। इससे फसल उपजा करके लोगों के पेट भरने के साथ ही अपने परिवार की जीविका भी चलाते हैं। जबकि यही किसान आज शोषण के शिकार हो रहे हैं और खाद के लिए मारे मारे फिर रहे हैं। बिस्कोमान कृषक सेवा केंद्र पर मंगलवार को खाद कम थी और किसान ज्यादा पहुंचे। जहां पर लाइन लगने को लेकर तू तू मैं मैं होते होते मारपीट की नौबत आ गई। जिस पर पुलिस को बुलानी पड़ी।
पुलिस लाइन लगवाने को लेकर के बलपूर्वक करते दिखाई दे होने लगी और इसमें खाद की किल्लत से किसान परेशान दिखे। पिपरा गांव के पुर्नवासी तातो ने बताया कि मैं 2 दिनों से बिस्कोमान कृषक सेवा केंद्र पर आ रहा हूं। लेकिन खाद नहीं मिल रही है। मेरे खेत में दरार पड़ चुकी है। पटवन नहीं कर रहे हैं कि पटवन करने पर खाद का छिड़काव करना पड़ेगा। खाद नहीं दिए तो गेहूं की फसल खराब हो जाएगी। हम लोग गरीब परिवार के हैं। किसी तरीके से खाद लेकर के अपना खेती कर रहे हैं। खाद के अभाव में हम लोग मारे मारे फिर रहे हैं।
प्रशासन लगातार कह रही है कि खादी कमी नहीं है। किसानों का कहना है कि जब खाद किसानों को मिल जाती तो किसान खाद के लिए क्यों मारे मारे फिरते। कड़ाके की ठंड में किसान सुबह 5:00 बजे घर से सो कर उठते हैं नित्य कर्म हुए बिना ही बाजार समिति किसान सेवा केंद्र बिस्कोमान में नंबर लगा करके खड़े हो जाते हैं। जब तक किसानों को खाद नहीं मिल रही है कुछ खा पी नहीं रहे हैं। किसानों का कहना है कि सारी परेशानी किसानों की ही होती है। किसानों को खाद नहीं मिलती और फसल तैयार होती है तो लेनदार नहीं मिलते। प्रशासन का कहना है कि खाद पर्याप्त मात्रा में है। सभी किसानों को खाद मिल जाएगी।
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