सासाराम/अरविंद कुमार सिंह : अध्यात्म विज्ञान का महाशास्त्र है स्वर्वेद। स्वर्वेद आध्यात्मिक ज्ञान का चेतन प्रकाश है। जिसके आलोक में अविद्या, अंधकार, मिथ्याज्ञान नष्ट होते हैं। यह हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है। अशांति एवं वैमनस्य से पीड़ित विश्व मे शांति एवं सौहार्द की स्थापना करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम स्वर्वेद है। जीवन मे स्वर्वेद का आचरण अनन्त ऊंचाइयों तक ले जाता है।
उक्त बातें विहंगम योग के संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज ने महर्षि सदाफल देव आश्रम विक्रमगंज के परिसर में आयोजित विहंगम योग सत्संग समारोह सह मूर्ति संकल्प यात्रा कार्यक्रम में उपस्थित भक्त शिष्यों के मध्य व्यक्त किये। महाराज जी ने कहा विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सदगुरू सदाफल देव जी महाराज ने ऋषियों के दुर्लभ ज्ञान को सहज रूप में उपलब्ध करके मानवमात्र पर अहैतुकी कृपा की है।
सद्गुरु देव ने अपनी गहन साधना से प्राप्त दिव्यज्ञान द्वारा हमे स्वर्वेद महाग्रंथ का महान प्रसाद दिया। संत प्रवर जी ने बताया कि स्वर्वेद महाग्रंथ को समर्पित स्वर्वेद महामंदिर धाम वाराणसी के पावन परिसर में सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज की 135 फुट से भी ऊंची प्रतिमा ( Statue of Spirituality) का निर्माण होने जा रहा है। इस मूर्ति निर्माण संकल्प महाअभियान के निमित्त बिहार के सभी जिलों में विहंगम योग समारोह मूर्ति निर्माण संकल्प यात्रा कार्यक्रम आयोजित है।
सुपूज्य संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज की अमृतमयी दिव्यवाणी के पश्चात सैकड़ों की तादाद में सेवाभावी भक्त शिष्य मूर्ति निर्माण हेतु अपना संकल्प प्रपत्र भरकर जीवन का आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त किये। कार्यक्रम में भक्तों को शारीरिक आरोग्यता के लिए कुशल चिकित्सकों द्वारा योग, आयुर्वेदिक, पंचगव्य आदि द्वारा चिकित्सा परामर्श दिया गया।
मानव मन की शांति के लिए दोपहर 2 बजे से आगत नए जिज्ञासुओं को विहंगम योग के क्रियात्मक साधना विधि का उपदेश भी दिया गया। जिसमें सैकड़ों नए जिज्ञासुओं ने साधना विधि सीखकर अपने जीवन का आध्यात्मिक कल्याण पथ पर अग्रसर हुए। कार्यक्रम में वृहत भण्डारे का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का समापन बन्दना, आरती एवं शांतिपाठ के द्वारा किया गया।