Today in History Shelendra Dixit : वो जब याद आये, बहुत याद आये…

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Pulin Tripathi : अजीब बात है। इधर काफी दिनों तक बिफोरप्रिंट से संबंधों को विराम लगा रहा। अचानक कल ही संपादक जी (स्व. शैलेंद्र दीक्षित जी) के सुपुत्र अनुपम दीक्षित की कॉल आई। पुलिन जी आए नहीं आप। कानपुर आए काफी समय हो गया है, आपको। मेरा जवाब था, सर कल आता हूं। सुबह आंख खुलते ही फिर पहुंच गया बिफोरप्रिंट। इसी आस में कि कुछ नहीं तो संपादक जी के चित्र के ही दर्शन हो जाएंगे।

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अनौपचारिक भेंट के बाद कुछ खबरें लिखने का मन हो आया। पता नहीं किसकी अनजानी सी प्रेरणा थी। तकरीबन 12:30 बजे ध्यान आया। आह! पिछले साल आज ही का वह दिन है जब शैलेंद्र दीक्षित जी का असामयिक गोलोकवास हो गया था। निर्मम काल ने अद्भुत प्रतिभा के धनी संपादक जी को हमसे दूर कर दिया था। फिर बोध हुआ कि यह अनायास हुई घटना नहीं हो सकती। आज भी जब दफ्तर पहुंचा तो उनका चित्र नहीं दिखा। किसी बात पर उनके सुपुत्र से पूछ ही बैठा। उन्होंने भीतर के कमरे की ओर इशारा किया। मैंने चित्र देखा और मन ही मन प्रणाम किया।

कुछ लोगों का व्यक्तित्व ही ऐसा होता है जिन्हें देखकर आप मोहित हो जाते हैं। शैलेंद्र दीक्षित जी भी ऐसे ही व्यक्तित्व के स्वामी थे। आज भी उनकी उपस्थिति महसूस कर रहा हूं। पिछले साल उनके निधन पर सिर्फ बिहार, झारखंड और रांची ही नहीं पूरे देश के पत्रकार जगत में शोक की लहर दौड़ गई थी। आज भी याद है…

तब कुछ पत्रकारों की प्रतिक्रिया, जस की तस-

एडिटर तो बहुत हुए लेकिन ‘संपादक जी’ बस एक ही हुए। शैलेंद्र दीक्षित सर जी। इनके संग काम करने का मौका मिला। उनसे बहुत कुछ सीखा। अपनापन बढ़ा तो कई निजी बातें शेयर करने लगा। वह सुख दु:ख की बातें होती थीं। वे राह बताते थे। आज अभी पता चला कि वे अचानक विदा हो गए। कानपुर में ही। परमात्मा ने बुला लिया। सिर्फ डेढ़ साल पहले गुरु माता गुजर गई थीं। यहीं पारस, पटना में। और आज सर। सर को अभी इस दुनिया में रहना था। उनकी जरूरत यहां पर ज्यादा थी। मगर परमात्मा के आगे किसका बस चलता है। दैनिक जागरण को उन्होंने अलग पहचान दी थी और कई नवांकुर और अनगढ़ को पत्रकारिता में मौका दे उन्हें वटवृक्ष बनने का मौका दिया। श्रद्धांजलि सर। परमपिता परमेश्वर आपको मोक्ष दें। सभी परिजनों के प्रति इस दुःख की घड़ी में
हार्दिक संवेदना। – विमलेंदु सिंह

अभी चार दिन पहले संपादक जी हमें समझा रहे थे कि अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए खुद को व्यस्त रखना कितना जरूरी है। और आज अचानक हमको छोड़कर आप गोलोकवास को चले गए। -अनूप बाजपेयी

अनुजवत् प्रिय शैलेंद्र दीक्षित का असमय अवसान हृदय विदारक है, प्रतिदिन संपर्क में थे हम लोग। आज ही प्रातः अपने संदेश में मेरे कानपुर आने पर भेंट की बात उन्होंने कही थी। स्तब्ध हूँ, निशब्द हूँ, व्यथित हृदय से तुम्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ बंधु। -चंद्रकांत त्रिपाठी

वरिष्ठ पत्रकार श्री शैलेन्द्र दीक्षित जी नहीं रहे… मुझे भी सम्पादक का विशेषण और पटना, कोलकाता, सिलीगुड़ी तथा मुजफ्फपुर को पढ़ने का अवसर देने वाले देश के वरिष्ठ पत्रकार शैलेन्द्र दीक्षित जी नहीं रहे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। साथ ही उनके परिवार को यह दुःसह दुख सहने की शक्ति दे। -धीरेंद्र नाथ श्रीवास्तव

बिहार में दैनिक जागरण अखबार को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र दीक्षित सर दुनिया में नहीं रहे, आज उनका निधन हो गया। बिहार, झारखंड में हिंदी पत्रकारिता में उनके योगदान को कोई नहीं भुला सकता। 2016 में पहली बार पटना में उनसे भेंट हुई थी। इनके हज़ारों शिष्य आज पत्रकारिता में हैं। आप से काफी कुछ सीखने समझने को मिला था। पत्रकारिता की इस महान शख्सियत को शत-शत नमन। -बीजे बिकाश

आज मानो पत्रकारिता के एक युग का अंत हो गया। महज दो दिन पहले ही तो बच्चों को पढ़ा रहा था, आपकी पत्रकारिता की मिसाल। “मुख्यमंत्रीजी बड़ी जालिम है शराब” यही वो शीर्षक है जिसने संपादकों के कद और ताकत को पूरे सूबे में स्थापित कर दिया। आपका जाना रुला गया। सादर नमन। -कमल उपाध्याय