Sheohar, Ravi Shankar Singh । अपनी मातृभूमि को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए हमारे शिवहर जिला के वीर सपूतों ने अपनी जान की कुर्बानी दी है। तरियानी छपरा गांव की स्वतंत्रता के दीवाने ने देश की आजादी में अहम योगदान दिया था जो अविस्मरणीय हैं। आज डीएम मुकुल कुमार गुप्ता, एसपी अनंत कुमार राय ने शहीद स्थल पर श्रद्बासुमन अर्पित किया है। वहीं पूर्व मुखिया श्याम बाबू सिंह ने झंडोत्तोलन किया है। डीएम मुकुल कुमार गुप्ता व पुलिस अधीक्षक अनंत कुमार राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वीर शहीदों को नमन किया, तथा कहा आज हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं तो उन महान स्वतंत्रता सेनानियों के बदौलत ही, उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता।
मौके पर अनुमंडल पदाधिकारी मोहम्मद इश्तियाक अली अंसारी, कार्यपालक दंडाधिकारी लालदेव राम, प्रखंड विकास पदाधिकारी भगवान कुमार झा, अंचल अधिकारी तरियानी अमित कुमार, छपरा थाना अध्यक्ष सैफ अहमद खां, कार्यक्रम का संचालन कैप्टन कौशलेंद्र सिंह ने किया। इस गांव के 11 वीर सपूतों ने आजादी की लड़ाई में एक साथ कुर्बानी दी थी। तरियानी छपरा गांव के 11 वीर सपूतों ने 30 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों की गोली से शहीद हुए थे, इस बलिदान और त्याग को लेकर इस गांव के लोग बेहद गौरवान्वित महसूस करते हैं।
वीर शहीद नवजद सिंह, भूपेंद्र सिंह ,जय मंगल सिंह ,परसन साह, बलदेव साह, सुखदेव सिंह, सुंदर राम, बंसी दास और छोटू साह शहीद हो गए थे जबकि श्याम नंदन सिंह को बक्सर सेंट्रल जेल भेज दिया गया था जहां वे अनशन करते हुए 32 वें दिन शहीद हो गए थे। जिन 10 लोगों को गोली मारी गई थी उसमें से 9 लोग घटनास्थल पर ही शहीद हो गए थे जबकि बुधन महतो 2 सितंबर 1942 को शहीद हुए थे। महात्मा गांधी के आह्वान पर इन वीर सपूतों ने अंग्रेजों को खुली चुनौती देते हुए बेलसंड थाने में तोड़फोड़ कर रजिस्ट्री ऑफिस के ऊपर तिरंगा लहराया था।
यही नहीं वीर शहीदों ने नदी के ऊपर बने पुल को ध्वस्त कर दिया था ताकि अंग्रेज गांव तक नहीं पहुंच सके। वीर शहीदों की नींद की घाट सुलाकर अंग्रेजों ने ग्रामीणों के घर में आग लगा दी, मवेशियों को उठा ले गए, घर में रखे अनाजों को तहस-नहस कर दिया था, 30 अगस्त 1942 की शाम अंग्रेज पूरी तैयारी के साथ बेलसंड के रास्ते बागमती नदी को पार कर तरियानी छपरा गांव पहुंचे और वहां मौजूद आंदोलनकारियों के ऊपर अंधाधुंध फायरिंग कर वीर शहीदों को मौत के घाट उतार दी।
आज शहीदों के वंशजों की भूमि पर जन सहयोग से शहीद स्मारक सहित पुस्तकालय और शहीद उद्यान का निर्माण कराया गया है। हालांकि ग्रामीणों में रोष व्याप्त है कि सरकार की ओर से इन शहीदों की याद को सहेजने के लिए आज तक कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। मौके पर ललन प्रसाद सिंह, धीरज राठौर, सुजीत कुमार सिंह, राम विनोद सिंह, ऋतु राज सिंह सलेमपुर मुखिया प्रतिनिधि मनोज कुमार, मुन्द्रिका प्रसाद सिंह, राजू राठौड़ समेत मौजूद थे।