जन सुराज पदयात्रा: 83 वे दिन शिवहर में प्रशांत किशोर ने कहा-बिहार के किसानों को पंजाब के किसानों से सीखना चाहिए कि सरकार को कैसे झुकाया जाता है

शिवहर

Sheohar, Ravishankar singh: जन सुराज पदयात्रा के 83वें दिन की शुरुआत शिवहर स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ किसान मैदान से निकले। आज जन सुराज पदयात्रा माधोपुर अनन्त, जहाँगीरपुर, बड़ा परसौनी, नयागांव पूर्वी, श्यामपुर, मकसुदपुर कररिया पंचायत के लालगढ़ हाई स्कूल में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। प्रशांत अबतक पदयात्रा के माध्यम से लगभग 950 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं। इसमें 550 किमी से अधिक पश्चिम चंपारण में पदयात्रा हुई और पूर्वी चंपारण में अबतक 300 किमी और शिवहर में 100 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं।

शिवहर में आज पदयात्रा का आठवां दिन है। दिन भर के पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर 4 आमसभाओं को संबोधित किया और 8 पंचायत, 14 गांव से गुजरते हुए 20 किमी की पदयात्रा तय किया। इसके साथ ही प्रशांत किशोर स्थानीय लोगों के साथ संवाद स्थापित किया।

-कोरोना जात देखकर नहीं होता है, इसलिए आप भी जात देखकर वोट नहीं दीजिए
आज़ादी के समय तमिलनाडु और बिहार एक बराबर राज्य थे। आज 75 वर्ष में तमिलनाडु बिहार से 6 गुना बड़ा हो गया और बिहार वहीं का वहीं रह गया। बिहार की जनता हर दिन अपने दुख की बातें करती है, लेकिन जिस दिन चुनाव आता है उस दिन बस तीन-चार चीजों पर ही वोट करती है। जात-पात, हिंदू-मुसलमान, और भारत-पाकिस्तान के नाम पर ही वोट करती है। अगर कोरोना जात देखकर नहीं होता है तो नेता भी जात देखकर नहीं चुना जाना चाहिए। आप जात पर वोट देते रहेंगे तो बिहार की स्थिति और बर्बाद होती रहेगी।

आगे उन्होंने कहा की आज बिहार में बस दो ही दलों का राज है, मोदी जी की भाजपा और लालू जी का लालटेन। नीतीश कुमार का तो कोई भरोसा नहीं है। जनता आज तक समझ नहीं पा रही है कि नीतीश कुमार किधर के हैं? आज अगर कोई भी आदमी यह बता रहा है कि हमको वोट दीजिए हम सब ठीक कर देंगे तो इसमें बस दो ही बाते हो सकती है, या तो वो आदमी मुर्ख है या उसको पता नही है की समस्या कितनी बड़ी है। वो सबको मूर्ख बना रहा है। जीतने के बाद वो कुछ नहीं करने वाला। बिहार की जनता बस कह कर रह जाएगी की हम नेता को सबक सिखाएंगे और अपने स्थिति में सुधार लायेंगे पर ऐसा कुछ नहीं होगा।

-बिहार के किसान को पंजाब के किसान से सीखना चाहिए कि सरकार को कैसे झुकाया जाता है
जन सुराज पदयात्रा के दौरान शाहपुर गांव की आमसभा में प्रशांत किशोर ने किसानों पर चर्चा करते हुए कहा कि बिहार की जनता धान 2040 रुपए के बजाए 1400 से 1500 रूपए बेच रही है। जिसका नतीजा यह यह है की लोगों को अपना कर्ज चुकाने के लिए अपनी ज़मीन बेचनी पड़ रही है। गलती सरकार से ज्यादा किसान की है। क्या कभी बिहार के किसान धरना पर बैठे हैं, और मांग की है कि जब तक सरकार उनकी धान 2050 रुपये की कीमत पर नहीं खरीदेंगे तब तक वो धरना से नहीं हटेंगे। आज पंजाब के किसान की हालत बिहार से अच्छी क्यों है? वो इसलिए है क्योंकि वो अपने हक के लिए लड़ना जानते हैं।

पूरे देश की जनता ने प्रधानमंत्री द्वारा लाए गए कृषि बिल पर देखा था कि कैसे पंजाब-हरियाणा के किसानों ने चक्का जाम कर दिया था, और सरकार को आखिरी में झुकना पड़ा था। अगर आज बिहार के किसान सड़क पर बैठ जाएं तो कल सरकार को झुकना पड़ेगा और सरकार चावल, गेहूं, गन्ना सही कीमत पर खरीदना शुरू कर देगी।

-मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बदलने से नहीं बदलेगा बिहार
जन सुराज पदयात्रा के दौरान जहांगीरपुर पंचायत में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में पहले ही 50 नेता दल बना कर बैठे हैं, जो भी नेता आता है वो दल बना कर बैठ जाता है। वो सोचते हैं कि हम हैं आपके नेता और हमारे बाद हमारा बेटा होगा। यह जानते हुए भी कि ऐसे दल ना कभी आपका भला कर सकते हैं ना भला सोच सकते हैं। जनता भी सब जानते हुए उन्हें वोट दे जाती है।

अगर यही हाल रहा तो बिहार की आने वाली पीढ़ी की भी जिंदगी इसी बदहाली और गरीबी में बीतेगी। बिहार को कोई सुधार सकता है तो वो ख़ुद बिहार के लोग हैं। बिहार को सुधारने के लिए मंगल ग्रह से लोग नहीं आयेंगे। बिहार तब सुधरेगा जब 5-6 हज़ार अच्छे ईमानदार आदमी मुखिया और 100 से 150 अच्छे लोग विधायक बनेंगे। बिहार में केवल मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बदलने से बिहार नहीं बदलने वाला है।