Neeraj Kumar : भारतीय जनता पार्टी शिवहर संगठन ने अपने 57 बूथशक्ति केंद्रों पर एवं भारतीय जनता पार्टी कार्यालय शिवहर में भारतीय जनता पार्टी के वड़िए जिला उपाध्यक्ष नंदकिशोर चौधरी जी की अध्यक्षता में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि समर्पण दिवस के रूप में मनाया गया। सन 1918 में जब उनके पिता की मृत्यु हुई, तब उनकी उम्र केवल ढाई साल थी. जिससे उनके परिवार का भरण पोषण बंद हो गया था. तब उनके नानाजी जी ने उनके परिवार को संभाला. उसके बाद उनकी माता की भी की बीमारी के चलते मृत्यु हो गई, जिससे दीनदयाल जी एवं उनके भाई दोनों अनाथ हो गए. किन्तु उनका पालन – पोषण उनके ननिहाल में बेहतर तरीके से हुआ।
दीनदयाल जी को बचपन से ही समाज सेवा में समर्पित होने के संस्कार प्राप्त थे. सन 1937 में जब उन्होंने अपनी बीए की परीक्षा को प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद एमए में प्रवेश लिया था, तब वे अपने दोस्त बलवंत महाशब्दे के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शामिल हुए. इसमें उनके साथ उनके एक और सहपाठी सुंदर सिंह भंडारी भी इस संघ में शामिल हुए. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केबी हेडगेवार के साथ मुलाकात की, और खुद को पूरी तरह से संगठन में समर्पित करने का फैसला किया. सन 1942 से वे पूरे समय के लिए इस संघ के साथ जुड़कर उसके लिए काम करने लगे. उन्होंने संघ शिक्षा में प्रशिक्षण लेने के लिए नागपुर में 40 दिनों के ग्रीष्मकालीन आरएसएस शिविर में भाग लिया और फिर इसके प्रचारक बने. सन 1955 में प्रचारक के रूप में उन्होंने उत्तरप्रदेश के लखीमपुर जिले में काम किया.
भारतीय जन संघ का निर्माण
सन 1951 में भारतीय जन संघ का निर्माण डॉ श्यामा प्रसाद मुकर्जी जी ने किया था, जिसमें दीनदयाल उपाध्याय जी की पहले उत्तरप्रदेश शाखा के महासचिव और बाद में अखिल भारतीय महासचिव के रूप में नियुक्ती हुई. डॉ श्यामा प्रसाद जी उनकी बुद्धिमत्ता और विचारधारा से इतने प्रभावित थे, कि उन्होंने उनके लिए कहां की –“अगर मेरे पास दो दीनदयाल होते, तो मैं भारत के राजनीतिक चेहरे को बदल देता”. किन्तु सन 1953 में डॉ श्यामा प्रसाद जी की मृत्यु हो जाने के कारण इस संघ की पूरी जिम्मेदारी दीनदयाल जी पर आ गई।
बताया है कि दीनदयाल जी अपने व्यक्तिगत जीवन में बहुत ही साधारण व्यक्ति थे. वे धोती एवं कुर्ता पहना करते थे और इसके साथ ही उनके सिर पर एक टोपी होती थी. इनकी इस वेशभूषा के कारण उनके साथी उन्हें पंडित जी कहा करते थे. फिर बाद में उन्हें इसकी उपाधि मिल गई. और फिर उनका नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय से प्रसिद्ध हो गया. एक महान ज्योतिषी ने उनकी जन्मकुंडली देखते हुए कहा था कि ‘वे बड़े होकर एक बुद्धिमान, विचारक एवं अग्रणी राजनेता बनेंगे, जोकि निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करेगा, किन्तु उनका विवाह नहीं होगा.
इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के नेता राधा कांत गुप्ता विश्व हिंदू परिषद शिवहर सीतामढ़ी जिला संरक्षक राकेश तिवारी जिला युवा मोर्चा के अध्यक्ष धीरज सिंह चौहान सांसद प्रतिनिधि राजेश कुमार अशोक चंद्रवंशी मुकेश कुमार अशोक अलबेला रामाशंकर सिंह सुशील कुमार बजरंगी सिंह मौजूद रहे।