Survey Reports : शराब बंदी ने बदली Bihar के लोगों की दशा, महिलाएं भी सुरक्षित

trending ट्रेंडिंग बिहार

Patna, Beforprint : बिहार में शराब बंदी से रामराज्य की सी स्थिति आ गयी है। ऐसा बिहार के लोग भले ही महसूस नहीं करें, लेकिन सरकार को यही रिपोर्ट मिली है। शराब बंदी पर नीतीश कुमार ने खास तरह का सर्वे कराया था। इस सर्वे की रिपोर्ट आ गई है। जिसके मुताबिक बिहार में अब महिलाओं को घर के अंदर और बाहर उतना डर नहीं लगता। शराब बंदी के बाद शिक्षा, स्वास्थ्य, कारोबार सब सुधरा है।

google.com, pub-3161711413977012, DIRECT, f08c47fec0942fa0

क्राइम से लेकर रोड एक्सीडेंट पर अंकुश लगा है। राज्य सरकार ने आज अपने सर्वे की रिपोर्ट जारी की और इस सर्वे में बिहार में रामराज्य वाली स्थिति होने का दावा किया गया है। सर्वे के मुताबिक शराबबंदी से सुधार की वजह से ही लोगों की मांग है इसे और मजबूती से लागू किया जाये।

आठ जिलों में किया गया था सर्वे

चाणक्या लॉ यूनिवर्सिटी को शराब बंदी के असर पर सर्वे का काम सौंपा गया था। यहां की टीम ने बिहार के 8 जिलों पटना, किशनगंज, कटिहार, गया, बक्सर, मधुबनी, जमुई और पूर्वी चंपारण में तकरीबन चार हजार घरों में सर्वे का काम किया था। बिहार के उत्पाद आयुक्त कार्तिकेय धनजी ने प्रेस कांफ्रेंस करके यह रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक सभी जाति धर्म की महिलाओं के अलावा 80 फीसदी लोग शराब बंदी के पक्ष में हैं।

महिलाएं घरों के बाहर भी सुरक्षित

लोगों का मानना है कि शराब बंदी के बाद महिलायें सार्वजनिक मनोरंजन के जगहों, बाजारों औऱ धार्मिक जुलूसों बड़े पैमाने पर जा पा रही हैं। सर्वे के मुताबिक 91 फीसदी परसेंट लोग ये मान रहे हैं कि शराबबंदी के बाद महिलाओं पर घरेलू हिंसा के मामले कम हुए। बिहार के 40 फीसदी लोगों ने बताया कि अब परिवार के फैसले लेने में महिलाओं की भूमिका भी बढ़ी है।

बढ़ी घरेलू आमदनी और शिक्षा का स्तर

करीब 87 फीसदी लोग मानते हैं कि शराबबंदी से घरेलू आमदनी बढ़ गयी है। घरेलू आमदनी बढ़ी तो शिक्षा का स्तर भी सुधरा । 67 फीसदी लोगों ने माना कि अब वह अपना या परिवार का इलाज सही तरीके से करा पा रहे हैं। बच्चों को बेहतर खाना मिल रहा है।

शराब बंदी से सड़क हादसों में आई कमी

सरकारी सर्वे के मुताबिक शराबबंदी से सड़क पर चलना सुरक्षित हो गया है। बिहार में सड़क हादसों में 51.4 फीसदी की कमी आ गयी है।

बस एक ही गड़गड़ी

रिपोर्ट में यह भी खुल कर सामने आया है कि तकरीबन 62 फीसदी लोगों ने कहा है कि पुलिस प्रशासन शराबबंदी को ठीक से लागू नहीं कर रहा है। इनका मानना है कि अवैध शराब के उत्पादन और वितरण करने वाले बड़े लोगों को छोड़ दिया जाता है। जबकि छोटे लोगों (पीने वाले और स्थानीय छोटे सप्लायर) को पकड़ा जाता है।