फुलपरास, मधुबनी, वीरेन्द्र दत्त। देश में तमाम तरह की राजनीतिक पार्टियॉ आज तक तुष्टिकरण, अपराधीकरण और भ्रष्टाचार के बदौलत ही सरकारें बनाती और चलाती रही रही हैं। धर्म संस्कृति जात-पात और भाषायी विषमताओं का ताना बाना बुनकर लोगों के सामने परोस कर जनता का शोषण करती रही है। अमूमन कोई भी पार्टी इस कृत्य से अछूता नही है। उपरोक्त बातों की चर्चा युवा समाज सेवी एवं दुर्गा माता मंदिर सेवा ट्रस्ट रामनगर(फुलपरास) के ट्रस्टी तथा पूर्व के फुलपरास विधान सभा क्षेत्र प्रत्याशी विजय कुमार यादव ने एक विज्ञप्ति जारी कर की है। जारी विज्ञप्ति में श्री यादव ने उल्लेख किया है कि तुष्टिकरण की राजनीति का प्रकटीकरण बिहार में नयी नवेली महागठबंधन के सरकार के फरमानों को देखने से भी लोगों को हो रहा है। सिर्फ कुर्सी और सत्ता के लिए राजनीति करना जनमत का अपमान है।
विगत सतरह वर्षों में राज्य के मुखिया नीतीश कुमार के शासन काल में इन्हीं कारणों से उपलब्धि के नाम पर लोगों को जीरो बट्टा सन्नाटा का तोहफा मिला है। बात अगर चर्चाओं में जारी सरकारी विद्यालयों की करें तो उसमें कितने-कितने उर्दू और बंगाली शिक्षक और कर्मचारी पदस्थापित हैं और कितनी सीटें खाली है की जानकारी को सरकार द्वारा जिलाधिकारियों से तलब करने की मंशा के पीछे भी तुष्टिकरण की राजनीति की ही बू आती है।
इसके पीछे सरकार की मंशा क्या है ? अन्य भाषायी शिक्षक क्या सरकार के नहीं हैं ? सरकारी इन मजबूिरयों का सीधा सा उत्तर यही जान पड़ता है कि आज तक देश या किसी भी राज्य में पार्टियां केवल तुष्टिकरण, अपराधीकरण, भ्रष्टाचार की बदौलत ही सरकार बनाती रही हैं और लोगों का शोषण करती है। जिससे अपना राज्य बिहार भी अछूता नही है। तथा इस तरह की राजनीति राज्य समाज और देश सबको को खोखला करती नजर आ रही है।
इसके लिए जनता को आगे आना होगा। धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग के नाम पर जो गंदी राजनीति आज हो रही है वह निहायत ही शर्मनाक और जनता के साथ भद्दी मजाक है। इसे हर स्तर पर रोका जाना चाहिए। तभी एक स्वस्थ्य समाज का निर्माण किया जा सकता है।