उम्मीद पर पाला पड़ल निराशा के घानी, बहुरुपिया बदरा बरसवलस ना पानी : लहरी
वो गीता बाईबिल कुरान की कीमत समझता है, समझने वाला धर्म-इमान की कीमत समझता है : इमाम
बेतिया, अवधेश कुमार शर्मा। राज इंटर कॉलेज बेतिया के हिन्दी विभाग एवं साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘अनुराग’ के सहयोग से काॅलेज सभागार में गीतों के राजकुमार कविवर गोपाल सिंह ‘नेपाली’ जयंती समारोह का आयोजन किया गया। उपर्युक्त आयोजन दो सत्रों में संपन्न हुआ। जिसकी अध्यक्षता प्राचार्य हरिशंकर सिंह ने किया जबकि संचालन हिन्दी विभाग के डाॅ.राजेश कुमार गज’चंदेल’ व धन्यवाद ज्ञापन उमेश कुमार ने किया। शिक्षिका खुशबू मिश्रा ने स्वागत गान प्रस्तुत किया। प्रथम सत्र में ‘नेपाली साहित्य में राष्ट्रीय चेतना’ विषयक विमर्श में अवधेश कुमार वर्मा, रमेश चन्द्र सिंह, आशीष कुमार शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किया। वक्ताओं ने कहा कि नेपाली इसी विद्यालय के छात्र रहे, उन्होंने अपने साहित्यिक गतिविधियों से विद्यालय और राष्ट्र को गौरवान्वित किया। नेपाली साहित्य राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्र प्रेम से ओत-प्रोत है।
नेपाली अपनी कालजयी रचनाओं से वर्तमान समय में देश-दुनिया में लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं, उनकी रचनाओं की सार्थकता आज भी है, इसलिए उन्हें कालजयी कहा गया है। द्वितीय सत्र कवि-सम्मेलन में क्षेत्रीय कवि-शायरों ने खूब तालियां बटोरी। मंचासीन शायर डाॅ. जफर इमाम ने कहा कि वो गीता बाईबिल कुरान की कीमत समझता है, समझने वाला धर्म-इमान की कीमत समझता है।
प्रो. कमरुज्जमां कमर ने कहा कि दिलों से दूर होते जा रहे हो, कि तुम मगरुर होते जा रहे हो। अरुण गोपाल ने कहा कि कितना भी पकड़ना चाहूं मैं तुम हाथ छुड़ाए फिरते हो, ऐ माझी ये तो बता क्यों ख्वाब में आए फिरते हो। ललन पाण्डेय लहरी ने पढ़ा कि उम्मीद पर पाला पड़ल निराशा के घानी, बहुरुपिया बदरा बरसवलस ना पानी।
‘अनुराग’ के प्रवक्ता डाॅ. जगमोहन कुमार, अखिलेश्वर मिश्र, अनिल अनल, आभास झा युवा, अतुल आजाद, पाण्डेय धर्मेंद्र शर्मा, शमी बरनवाल, मुन्ना कुमार राम अनुराग ने अपनी काव्यात्मक प्रस्तुति से मंत्र मुग्ध कर दिया। गोपाल सिंह नेपाली की 111वीं जयंती कार्यक्रम में शिक्षक कृष्ण गोपाल सिन्हा, डाॅ. सुधांशु चतुर्वेदी, सुनील कुमार, डाॅ. राजकिशोर राम एवं अन्य शिक्षक, प्राध्यापक एवं विद्यार्थी शामिल हुए।