बेतिया/अवधेश कुमार शर्मा। पश्चिम चम्पारण जिला मुख्यालय बेतिया स्थित एमजेके कॉलेज के भंडार में लगभग एक दशक से संरक्षित महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा का सोमवार को स्थापन व अनावरण उपरांत लोकार्पण कर दिया गया। प्राचार्य डॉ. सुरेंद्र केसरी के नेतृत्व और अध्यक्षता में सम्पन्न समारोह की मुख्य अतिथि नगर निगम की निवर्त्तमान सभापति गरिमादेवी सिकारिया रहीं।
समारोह का शुभारंभ करते हुए प्राचार्य डॉ. सुरेंद्र केसरी ने कहा कि अनेक गणमान्य और सक्षम लोगों से निराश होने के बाद लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व गरिमादेवी की ख्याति और कर्मठता से प्रभावित होकर एक पत्र लिखा। जिसमें अपने पूर्ववर्ती प्राचार्य के कार्यकाल से लंबित बापू की अस्थि-कलश स्थल पर एक सुसज्जित स्मारक निर्माण की अधूरी योजना को पूर्ण करा, सुसज्जित स्मारक निर्माण का अनुरोध किया।
कोरोना त्रासदी की भारी मंदी के बावजूद गरिमादेवी ने सहमति देकर महाविद्यालय परिवार को उपकृत कर दिया। स्मारक स्थल का जीर्णोद्धार कार्य जारी रहते श्रीमती सिकारिया एक सड़क दुर्घटना की शिकार हो गईं। इलाज़ के लिए बाहर रहने के बावजूद इस महत्वपूर्ण कार्य का पूराकर लोकार्पण करना गरिमादेवी के गरिमामय व्यक्तित्व की महानता को सिद्ध करता है।
समारोह की मुख्य अतिथि रहीं नगर निगम की निवर्त्तमान सभापति गरिमा देवी सिकारिया ने कहा कि चम्पारण सत्याग्रह के साथ स्वाधीनता संग्राम के लिये करोड़ों देशवासियों को जगाने वाले बापू का चम्पारण की धरती ऋणी है। महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा का उनके अस्थि कलश स्थल पर स्थापित कराने का सौभाग्य गरिमादेवी की सामाजिक जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
इस पुण्य कार्य का प्रस्ताव भेजने के लिए सिकारिया परिवार प्राचार्य डॉ. सुरेन्द्र प्र.केसरी और समस्त महाविद्यालय परिवार का आभारी है। श्रीमती सिकारिया ने समारोह में शामिल विद्यार्थियों से कहा कि महात्मा गांधी के सत्याग्रही व्यक्तित्व और अहिंसक चरित्र में इतनी शक्ति कि अंग्रेजी हुकूमत तक अहिंसा के रास्ते पर चलने को विवश हो गया। इसी कारण महात्मा गांधी के जीवन दर्शन और इस स्मारक से सबको यह प्रेरणा मिलती रहेगी।
महारानी जानकी कुंवर कॉलेज में पांच महिलाओं का स्मारक निर्माण में योगदान : महात्मा गांधी स्मारक के लोकार्पण समारोह का संचालन कॉलेज की दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ.अनुराधा पाठक ने किया। उन्होंने कहा कि भले ही लोगों को समाज के पुरुष प्रधान होने का भ्रम होता रहता है। लेकिन दावा के साथ कह सकती हूं कि लगभग एक दशक से भी अधिक समय से लंबित और अधूरा पड़े, इस स्मारक का लोकार्पण होने में हम पांच महिलाएं ही श्रेष्ठ साबित हुईं हैं।
निजी कोष से लाखों की रकम खर्च कर स्मारक का नवनिर्माण गरिमादेवी सिकारिया ने कराया। उनका स्वागत और सम्मान महाविद्यालय परिवार की ओर से हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.शैल कुमारी वर्मा ने किया। प्राचार्य महोदय के कई दिनों तक मुख्यालय से बाहर होने के बावजूद आयोजन की पूरी संरचना महाविद्यालय की लेखपाल सह प्रधान सहायक विनीता कुमारी ने निर्धार्धारित और पूरी की गयी है। लोकार्पण समारोह समापन का धन्यवाद ज्ञापन भी मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्षा डॉ. अंबिका कुमारी ने किया।
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