-सेमिनार के दरम्यान कृषि कालेज डुमरांव में बौद्धिकता की होती रही बारिस,कृषि सभ्यता को बढ़ाने का लिया गया संकल्प
बक्सर/विक्रांत। डुमरांव स्थित वीर कुंवर सिंह कृषि सह कृषि-अभियंत्रण कालेज के प्रांगण में दो दिवसीय आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का समापन हो गया।सेमिनार में हिस्सा लेने वाले वैज्ञानिकों को शुक्रवार की शाम आयोजित एक समारोह के बीच प्रशस्ति पत्र,स्मृति चिह् एवं अंगबस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम आयोजन समिति के सचिव वैज्ञानिक डॉ.प्रकाश सिंह, समन्वयक प्राचार्य रियाज अहमद एवं बिहार कृषि विश्व विद्यालय के शोध निदेशक डॉ.फीदा अहमद द्वारा उत्तर प्रदेश पर्यावरण आयोग के अध्यक्ष डॉ.हरिकेश बहादुर सिंह, केन्द्रीय सूक्ष्म जीव अनुसंधान ब्यूरो के निदेशक डॉ.हर्षबर्द्धन सिंह, केन्द्रीय कृषि किसान कल्याण मंत्रालय की निबंधक डॉ.के.टी.नागारत्ना, भारतीय जीव विज्ञान संस्थान मउ के अध्यक्ष डॉ.संजय कुमार, पूर्व प्राचार्य डॉ.अजय कुमार सिंह के आलावे डॉ.देश पांडेय, एवं डा.कमलेश कुमार सहित कई अन्य वैज्ञानिको को सम्मानित किया गया।
इस मौंके पर उत्तर प्रदेश पर्यावरण आयोग के अध्यक्ष सह बीएचयू के पूर्व वैज्ञानिक डॉ.हरिकेश बहादुर सिंह नें सेमिनार आयोजन समिति के सचिव डॉ.प्रकाश सिंह एवं समन्वयक प्राचार्य डॉ.रियाज अहमद सहित कालेज के सभी प्राध्यापक एवं छात्र छात्राओं के प्रति शुभकामना व्यक्त की और कहा कि बिहार में कृषि की सभ्यता को बढ़ाना अत्यावश्यक है।
उन्होनें अपनी बातों को दोहराते हुए कहा कि उपकरण शोध नहीं करता है बल्कि मानव का दीमाग शोध करता है। वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले कालेज के छात्र छात्राओं को भी सम्मानित किया गया। इस मौंके पर कृषि अभियंत्रण कालेज के प्राचार्य डॉ.जे.पी.सिंह,डॉ.आनंद कुमार जैन, प्रो.नीतू कुमारी, डॉ.पवन शुक्ला, डॉ.बिनोद कुमार सिंह,डॉ.विकास चंद्र वर्मा एवं डॉ.बी.के सिंह आदि मौजूद थे।
बता दें,कृषि कालेज डुमरांव के प्रांगण में कृषि में बौद्धिक संपदा अधिकारः चुनौतियां एवं समाधान बिषय पर दो दिवसीय गुरूवार एवं शुक्रवार को राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया था।सेमिनार में देश के विभिन्न प्रांतो मे कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, भुनेश्वर के आलावे बिहार के विभिन्न स्थानों से वैज्ञानिक सहित किसान भी हिस्सा लेने पंहुचे हुए थे। सेमिनार के दरम्यान कृषि कालेज आर्कषण का केन्द्र बना हुआ था।जहां दो दिनों तक बौद्धिकता की बारिस होती रही।
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