समस्तीपुर/ प्रतिनिधि । सदर अस्पताल के पोस्टमार्टमकर्मी के द्वारा शव देने के एवज में कथित रूप से 50 हजार रुपए मांगने एवं उक्त रूपए के लिए परिजनों द्वारा गांव में चंदा करने के मामले से जुड़ी सोशल मीडिया पर चलने के बाद जिला प्रशासन हड़कत आया है. डीएम के आदेश पर मामले की जांच के बाद सिविल सर्जन ने प्रेस कांफ्रेंस बुला कर इसका खंडन किया है. इसको लेकर बुधवार को अपने कार्यालय प्रकोष्ठ में आयोजित प्रेस वार्ता में सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी ने कहा कि पोस्टमार्टमकर्मी द्वारा 50 हजार रूपए मांगने की बात अनुचित है.
पोस्टमार्टम कर्मी द्वारा रूपए मांगे जाने से संबंधित किसी तरह का साक्ष्य नहीं मिला है, और ना ही परिजन ने इसको लेकर किसी तरह की शिकायत ही की है. पोस्टमार्टम कर्मी से भी पूछताछ की गयी है, लेकिन उसने भी पैसे मांगने के आरोप से साफ इंकार कर दिया है. क्योंकि पुलिस ने शव की पहचान नहीं होने की स्थिति में 72 घंटे के लिए पोस्टमार्टम हाउस में सुरक्षित रखा था.
जिसे पोस्टमार्टम कर्मी/अस्पताल प्रशासन द्वारा सिर्फ पुलिस को ही सौंपा जा सकता था. पुलिस के लिखित अनुमति के बिना उस शव को परिजनों को भी सौंपा नहीं जाता. इसलिए पोस्टमार्टकर्मी ने परिजनों को कागजात बनवाकर और जरूरी के कपड़े व पॉलीथिन लाने की बात कहकर वापस कर दिया था.
लेकिन मीडिया में 50 हजार रुपए नहीं देने पर शव नहीं देने से सम्बंधित खबर चलायी जा रही है. विभाग संबंधित परिजनों से भी सम्पर्क करने का प्रयास कर रहा है. घटना की बारीकी से जांच करायी जाएगी. इस घटना से स्वास्थ्य विभाग की छवि धूमिल हुई है. जो भी दोषी होंगे उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.
मुसरीघरारी थाना क्षेत्र में मिला था शव :
बताया जाता है कि 6 जून को मुसरीघरारी थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक अज्ञात शव बरामद किया था. उसकी पहचान नहीं होने की स्थिति में पोस्टमार्टम के बाद 72 घंटे के लिए पोस्टमार्टम हाउस में ही सुरक्षित रख दिया गया था. एक दिन बाद शव की पहचान ताजपुर थाना क्षेत्र के कस्बे आहार वार्ड 2 के महेश ठाकुर के पुत्र संजीव ठाकुर के रूप में की गई.
शव को खोजते हुए परिजन पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे थे. जहां पोस्टमार्टमकर्मी ने परिजनों को शव दिखाया था. शव की पहचान हो जाने के बाद परिजन पोस्टमार्टम हाउस से शव ले जाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन पोस्टमार्टमकर्मी ने बिना पुलिस के लिखित अनुमति के शव देने से इनकार कर दिया था. बताया जाता है कि शव लेने के परिजन दो हजार रुपए भी परिजन को दे रहे थे. लेकिन पोस्टमार्टमकर्मी ने 50 हजार रुपए देने पर भी शव नहीं देने की बात कहकर उन्हें वापस कर दिया था. इधर, मामला के सामने आने के बाद ताजपुर पुलिस को शव सौंप दिया गया है.