पुरुष नसबंदी को लेकर सामुदायिक उदासी नता को तोड़ने की जरूरत, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी

बिहार बिहारशरीफ

-पुरुष नसबंदी है बिलकुल सुरक्षित और आसान
-पहले 9 दिनों में 294 महिलाओं ने अपनाया स्थाई साधन
-स्थाई साधनों की अपेक्षा अस्थाई साधनों के प्रति बढ़ा रुझान

बिहारशरीफ, अविनाश पांडेय। जिले में चल रहे जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा की सफलता को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अधिकांश ताकत झोंक दी है। ताकि हर योग्य दंपत्ति एवं इच्छुक व्यक्ति तक परिवार नियोजन साधनों एवं इससे जुड़ी तमाम सुविधाओं को पहुंचाया जा सके। पखवाड़े को सफल बनाने के लिए तमाम गतिविधियों का आयोजन कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। लेकिन अभी भी स्थायी साधनों को अपनाने में पुरुषों की उदासी नता कहीं से भी कम होती नहीं दिख रही है। इस संदर्भ में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.विजय कुमार सिंह कहते हैं पुरुष नसबंदी पूरी तरह सुरक्षित और आसान प्रक्रिया है। जिसका शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव भी नहीं पड़ता है।

यह प्रक्रिया बिना चीरा एवं टाँके के मात्र आधे घंटे से कम समय में की जाती है। प्रक्रिया के दो घंटे बाद लाभार्थी अस्पताल से वापस भी जा सकता और सामान्य रूप से सभी काम कर सकता है। जबकि महिलाओं को बंध्याकरण के बाद सामान्य जीवनशैली में वापस आने के लिए समय लगता है। इसलिए पुरुषों की ये नैतिक ज़िम्मेदारी भी है कि वह आगे बढ़ कर नसबंदी को अपनाए।

अफवाह नहीं, तथ्य को जाने- नसबंदी के फ़ायदों को अपनाएं
डॉ. सिंह आगे बताते हैं नसबंदी के प्रति पुरुषों की उदासीनता की सबसे बड़ी वजह इससे जुड़ी भ्रांतियाँ हैं। लेकिन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन, सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन जैसे विश्वसनीय सूत्रों के सर्वे और शोध इन अफवाहों और मिथकों का पूरी तरह खंडन करते हैं। बल्कि पुरुष नसबंदी द्वारा-

• ना ही शारीरिक कमज़ोरी आती है और ना ही पुरुषत्व का क्षय होता है।
• दम्पति जब भी चाहे इसे अपना सकते हैं( यदि पुरुष के जननांग में कोई संक्रमण ना हो)
• पुरुष ऑपरेशन के आधे घंटे के बाद घऱ जा सकते हैं।
• रोज के काम काज पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है।
• पुरुष नसबंदी के बाद शरीर में कोई भी बदलाव नहीं होता है।
• महिलाओं की तुलना में पुरुषों को नसबंदी कराने के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को भी ज्यादा रखा गया है।

नसबंदी के लिए पुरुष लाभार्थी को 3000 रुपए एवं प्रेरक को प्रति लाभार्थी 300 रुपए दिया जाता है। जबकि महिला नसबंदी के लिए लाभार्थी को 2000 रुपए एवं प्रेरक को प्रति लाभार्थी 300 रुपए दिया जाता है।
अस्थायी साधनों के प्रति बढ़े रुझान, जबकि 294 महिलाओं ने अपनाए स्थायी उपाय
जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 11 से 31 जुलाई तक चलने वाले इस पखवाड़े के पहले 9 दिन में जिले की 294 महिलाओं ने स्थायी साधन को अपनाते हुये बंध्याकरण करवाया। जबकि 31 महिलाओं ने प्रसव उपरांत बंध्याकरण करवा कर जनसंख्या स्थिरीकरण में अपना योगदान दिया।वहीं स्थायी साधनों की अपेक्षा अस्थायी साधनों (कॉपर टी, कंडोम, अंतरा इंजेक्शन, माला (एन) की गोलियां, छाया)को अपनाने में पहले की अपेक्षा समुदाय का रुझान बढ़ा है।