गर्मी से फिलहाल राहत नहीं, दो दिनों बाद होगा मानसून मेहरबान, बरसेंगे बादल मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान

बिहार मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर, बिफोरप्रिंट। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, कृषि मौसम विभाग जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केन्द्र डा० राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, ने 16से20जुलाई तक के मौसम पूर्वानुमान जारी किया है। इसके अनुसार 18 जुलाई तक बर्षा की कोई सम्भावना नहीं है। उसके बाद ही मानसून सक्रिय होगा और उत्तर बिहार के जिलों में एक बार फिर अच्छी बारिश हो सकती है। मौसमीय वैद्यशाला पूसा के आकलन के अनुसार पिछले तीन दिनों का औसत अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमश: 36.4 एवं 26.7 डिग्री सेल्सियस रहा। औसत सापेक्ष आर्द्रता 77 प्रतिशत सुबह में एवं दोपहर में 58 प्रतिशत, हवा की औसत गति 8.0 कि०मी० प्रति घंटा एवं दैनिक वाष्पण 8.7 मि०मी० तथा सूर्य प्रकाश अवधि औसतन 114 घन्टा प्रति दिन रिकार्ड किया गया। 5 से०मी० की गहराई पर भूमि का औसत तापमान सुबह में 32.4 एवं दोपहर में 43.7 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। इस अवधि में मौसम शुष्क रहा।

16-20 जुलाई तक के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान में कहा गया है कि उत्तर बिहार के जिलों में अगले दो दिनों तक बर्षा की सम्भावना नहीं है। इसके बाद मानसूनी रेखा के उत्तर की ओर आने से मानसून सक्रिय हो सकता है जिसके कारण वर्षा की सक्रियता में वृद्धि हो सकती है। जिससे 20-21 जुलाई के आसपास उत्तर बिहार के अनेक स्थानों पर अच्छी वर्षा की सम्भावना है। पूर्वी तथा पश्चिमी चम्पारण तथा तराई के अन्य जिलों के कुछ स्थानों पर थोड़ी अधिक वर्षा हो सकती है। इस अवधि में अधिकतम तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 25-28 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 70 से 80 प्रतिशत तथा दोपहर में 40 से 50 प्रतिशत रहने की संभावना है। पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 10 से 15 कि०मी० प्रति घंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चलने का अनुमान है।

किसानो को सलाह दी गई है कि मिर्च का बीज उथली क्यारियों में गिराये। इसके लिए उन्नत प्रभेद कृष्णा, अर्का लोहित, पूसा ज्वाला, पूसा सदाबहार, पंजाब लाल, काषी अनमोल तथा संकर किस्मे अर्का घेता, अर्का मेघना, अर्का हरिता काषी सुर्ख काधी अगेती काफी तेज अनुशंसित है। उन्नत किस्मों के लिए बीज दर 1 से 1.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा 200 से 300 ग्राम सकर किस्मों के लिए रखें। क्यारियों की चौड़ाईं एक मीटर तथा लम्बाई सुविधानुसार 3-4 मीटर रखें। बीज को गिराने से पूर्व थायरम 75 प्रतिषत दवा से बीजोपचार करें।

उचास जमीन में अरहर की बुआई करें। उपरी जमीन में बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 20 किलो नेत्रजन, 45 किलो फास्फोरस, 20 किलो पोटाप तथा 20 किलो सल्फर का व्यवहार करें। बहार, पूसा 9 नरेंद्र अरहर 1, मालवीय 13, राजेन्द्र अरहर-1 आदि किस्में बुआई के लिए अनुषसित है। बीज दर 18-20 किलो प्रति हेक्टेयर रखें। बुआई के 24 घंटे पूर्व 25 ग्राम थीरम दवा से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करे बुआई के ठीक पहले उपचारित बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बुआई करनी चाहिए। सब्जियों में आवष्यकतानुसार निकाई-गुड़ाई करें तथा लाही, सफेद मक्खी व चूसक कीड़ों की निगरानी करें। इन कीट का प्रकोप दिखाई देने

पर बचाव के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड दवा का 0.3 मी.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर फसल में छिड़काव करें। आम के पौधों की उम्र (10 वर्ष से अधिक) के अनुसार फलन समाप्त होने के बाद अनुषंसित उर्वरकों जैसे 15-20 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद, 1.25 किलोग्राम नेत्रजन 300-400 ग्राम फॉसफोरस, 1.0 किलोग्राम पोटाप, 50 ग्राम बोरेक्स तथा 15-20 ग्राम थाइमेट प्रति पौधा प्रति वर्ष के अनुसार उपयोग करें। जिससे अगले वर्ष पौधे फलन में आ सके तथा उनका श्वास्थ अच्छा बना रहें।

केला की रोपाई करें। उत्तर बिहार में लम्बी किस्मों के लिए अलपान, चम्पा, कथाली, मालभोग, चिनियाँ, शक्कर चिनियाँ, फिआ 23 तथा बौनी एवं खाने वाली किस्मों के लिए ग्रेडनेन, रोबस्टा, बसराई, फिआ 1 अनुषसित है। सब्जी वाली किस्में बतीसा, सावा, बनकेल, कचकेल, फिआ 3 तथा सब्जी एवं फल दोनों में उपयोग आने वाली किस्में, कोठियों, मुठियों, दुधसागर एवं चकिया अनुशंसित है। लम्बी जातियों में पौधा से पौधा की दूरी 20 मीटर है एवं बौनी जातियों के लिए 1.5 मीटर रखें।