- टीबी से होने वाली मौतों में तंबाकू प्रयोग करने वाले मरीजों की मौत का आंकड़ा चार गुना अधिक
सीतामढ़ी, रविशंकर सिंह। सरकार ने वर्ष 2025 तक पूरे देश को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है। इसके लिए जिले में जागरूकता, बचाव व सामुदायिक स्तर पर विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। टीबी के मरीजों को सरकार द्वारा निःशुल्क दवा व पोषण की राशि भी उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन लोगों में तंबाकू का सेवन व धूम्रपान की लत टीबी के संक्रमण दर में बढ़ोतरी कर रहा है। सीडीओ डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि तंबाकू सेवन करने वाले तथा धूम्रपान करने वाले लोगों में टीबी संक्रमण की संभावना अधिक होती है। आंकड़ों के अनुसार, तंबाकू के सेवन करने वाले लोगों में टीबी होने का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है एवं टीबी से होने वाली मृत्यु भी तीन से चार गुना अधिक होती है। तंबाकू के सेवन से कैंसर ही नहीं टीबी भी हो रही है। उन्होंने बताया कि जिले में अभी टीबी के 2504 मरीज इलाजरत हैं।
टीबी के जोखिम को बढ़ाता है तंबाकू का सेवन-
सीडीओ डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि तंबाकू सेवन कैंसर और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का कारण है। लंबे समय तक धूम्रपान करने से फेफड़े व सांस की नली के कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। तंबाकू उत्पाद जैसे खैनी, पान मसाला, गुटखा आदि से मुख का कैंसर होता है। धूम्रपान कैंसर के अलावा टीबी होने के खतरे को बढ़ा देता है। उन्होंने बताया कि टीबी से पीड़ित लोगों के लिए तंबाकू सेवन और भी अधिक खतरनाक है। तंबाकू का इस्तेमाल हृदय रोग, कैंसर और फेफड़े की पुरानी बीमारी तथा मधुमेह को जन्म देता है। तंबाकू का उपयोग संक्रामक रोगों जैसे टीबी और श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए भी घातक है। धूम्रपान के कारण टीबी रोग पैदा करने वाले माइकोबैक्टेरियम से लड़ने की रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बनाता है।
धूम्रपान टीबी की रोकथाम में बड़ी बाधा-
सीड्स के कार्यक्रम पदाधिकारी मनोज कुमार झा ने बताया कि तम्बाकू सेवन से हो रही टीबी बीमारी को नियंत्रित करने की कोशिश हो रही है, लेकिन इस में गति को तेज करने की आवश्यकता है। घूम्रपान करने वाले में टीबी की व्यापकता घूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है।