Trending : कौन हैं रमन मैग्सेसे से नवाजे गए रवीश कुमार जिनके इस्तीफे पर हुआ हंगामा बरपा?

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Pulin Tripathi, Beforeprint : वैसे तो रवीश कुमार किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उन्होंने बेबाक पत्रकारिता से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया को हमेशा मजबूत ही किया। पर उनके खिलाफ तमाम ऐसे लोग हो गए जिनके हित उनकी पत्रकारिता की बेबाकी से प्रभावित हो रहे थे। उन्हें आधार हीन करने के लिए एक मीडिया घराने ने इसी साल अगस्त में ही NDTV को ही खरीद डाला। फिर चैनल के डारेक्टर प्रणव राव ने इस्तीफा दे दिया। जानिए कहां से आए रवीश कुमार और क्या है उनका जीवन परिचय।

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रवीश कुमार का जन्म 05 दिसम्बर 1974 को बिहार के पूर्व चम्पारन (purvichamparan) जिले के मोतीहारी के एक छोटे से गांव जितवारपूर (jitvarpur) में हुआ था। रवीश कुमार जाति से ब्राह्मण हैं। और इनका पूरा नाम रवीश कुमार पाण्डेय है। इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई लोयोला हाईस्कूल पटना से की । इसके बाद अपनी उच्च शिक्षा को प्राप्त करने के लिए यह दिल्ली आ गए। यहीं पर रवीश कुमार ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (PG) डिप्लोमा प्राप्त किया।

जब रवीश कुमार एमफिल (M.Phil) कर रहे थे तब इनकी मुलाकात नैना दास गुप्ता (nainadasgupta) से हुई। कुछ ही दिनों में यह दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और लगभग सात साल तक डेट करने के बाद इन दोनों ने शादी कर ली। वर्तमान समय में इन दोनों की दो बेटियां हैं। और नैना दास गुप्ता दिल्ली के ही लेडी श्रीराम कॉलेज में इतिहास की प्रोफेसर हैं। एक इंटरव्यू के दौरान रवीश कुमार ने कहा था कि पत्नी नैना दास गुप्ता उनकी प्रेरणा है।

सत्ता पक्ष हो विपक्ष रवीश कुमार ने हमेशा सबकी स्वतंत्र आलोचना की। यहां यह बताना भी जरूरी है कि आलोचना और विरोध में बड़ा फर्क होता है। आलोचना हमेशा सकारात्मक होती है। विरोध के दोनों ही पहलू हो सकते हैं। सकारात्मक भी और नकारात्मक भी। उन्होंने पत्रकारिता के दौरान कभी किसी का विरोध नहीं किया। पर ‘निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय’ की अवधारणा से कई लोग परिचित नहीं रहे। तो उनका विरोध शुरू हो गया। जिसके परिणाम स्वरूप कभी रमन मैगसेसे पुरस्कार से नवाजे गए रवीश कुमार को अब इस्तीफा देना पड़ गया। अब एनडीटीवी इंडिया पर रवीश की रिपोर्ट, इसी चैनल पर आने वाला शो हम लोग और प्राइम टाइम एक बीते युग की बात हो गए। अब उम्मीद है कि वह स्वतंत्र पत्रकारिता से नई पारी की शुरुआत कर सकते हैं।