कौन बनेगा चेयरमैन? रोस्टर से पहले दावेदारों का कैंपेन

बिहार बेगूसराय

बखरी नगर परिषद चेयरमैन के लिए मैदान में उतर चुके हैं दर्जन भर दावेदार
बखरी, बेगूसराय/विनोद कर्ण।
नगर पंचायत से नगर परिषद क्षेत्र में अपग्रेड हुए बखरी नगर परिषद क्षेत्र के विभिन्न पदों के लिए आरक्षण रोस्टर तय होने में अभी भले कई हफ्ते का समय हो मगर यहां चुनावी सरगर्मी काफी तेज हो गई है। खासतौर पर चेयरमैन की हाॅट सीट पर कब्जा करने के लिए करीब दर्जन भर उम्मीदवार मैदान में उतर गए हैं। हालांकि डिप्टी चेयरमैन और 27 वार्डों में वार्ड पार्षद के पद के लिए भी दावेदार मैदान में घूम रहे हैं।

चुनाव की घोषणा से पहले ही बखरी नगर परिषद चेयरमैन पद के लिए शह-मात का खेल शुरू हो गया है। चेयरमैन बनने की बेकरारी ऐसी है कि आरक्षण रोस्टर का इंतजार किए बिना ही करीब दर्जन भर उम्मीदवार मैदान में उतर गए हैं। पहली बार जनता द्वारा सीधे निर्वाचन के जरिए चेयरमैन के चुनाव की व्यवस्था ने इस पद के आकांक्षी उम्मीदवारों में एक-डेढ़ महीने से हलचल मचा रखी है।

इस पद के प्रमुख दावेदारों में मक्खाचक के पूर्व मुखिया जदयू के प्रखंड अध्यक्ष व वार्ड-7 के निवर्तमान पार्षद अशोक राय, राजद के वरिष्ठ नेता व बखरी पश्चिम पंचायत के पूर्व मुखिया मनोहर केसरी, लोजपा नेता और सलौना पंचायत के पूर्व मुखिया तुफैल अहमद खान, राजद नेता व बखरी पूर्वी पंचायत के पूर्व मुखिया विश्वनाथ यादव, बीजेपी महिला मोर्चा की नेता पूर्व चेयरपर्सन व वार्ड-9 की पार्षद सरिता साह, बीजेपी युवा मोर्चा के नेता और वार्ड-15 के निवर्तमान पार्षद नीरज नवीन, निवर्तमान चेयरपर्सन व वार्ड-6 की पार्षद गीता देवी कुशवाहा, बीजेपी महिला मोर्चा की नेता व वार्ड-3 की पार्षद बेबी केसरी, निवर्तमान डिप्टी चेयरमैन संजय कुमार सिंह, समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष दिलीप केसरी, कांग्रेस नेता कमलेश कुमार कंचन और ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े राजू सिंह जैसे नाम सामने आ चुके हैं।

इनमें से अधिकांश दावेदार मैदान में उतरकर वोट भी मांग रहे हैं। हालांकि इनमें से अधिकांश दावेदार यह सोचकर मैदान में उतरे हुए हैं कि चेयरमैन की हाॅट सीट अनारक्षित रहेगी। लेकिन चेयरमैन की सीट अतिपिछड़ा या महिला के लिए आरक्षित होने की स्थिति में इनमें से बहुत से दावेदार या तो मैदान से बाहर हो जाएंगे या फिर अनारक्षित होने पर डिप्टी चेयरमैन की सीट से किस्मत आजमाने की संभावना के आधार पर मैदान में हैं। महिलाओं के लिए सीट आरक्षित होने की स्थिति में पुरुष दावेदार अपनी-अपनी पत्नी को मैदान में उतारने की तैयारी में हैं।

जबकि अशोक राय, सरिता साहु व नीरज नवीन जैसे दावेदार चेयरमैन सीट अति पिछड़ों के लिए आरक्षित होने पर भी उम्मीदवार हो सकते हैं। लिहाजा अति पिछड़ी जातियों से आने वाले दावेदार पूरे जोर-शोर से मैदान में हैं। हालांकि कुछ दावेदारों के बारे में माना जा रहा है कि वे रोस्टर का इंतजार कर रहे हैं और रोस्टर के बिना अपनी दावेदारी पेश करने को तैयार नहीं हैं। माना जा रहा है कि रोस्टर जारी होने के बाद चेयरमैन पद के लिए कुछ नए चेहरे और चौंकाने वाले नाम भी सामने आ सकते हैं।

यानी चेयरमैन की हाॅट सीट पर दावेदारों के असली चेहरे आरक्षण रोस्टर तय होने के बाद ही सामने आएंगे। हालांकि यह चुनाव दलीय आधार पर नहीं होगा, मगर स्थानीय स्तर पर राजनीतिक पार्टियों और उसके नेताओं की चुनाव पर पैनी नजर है। वे भले ही अभी अपने पत्ते खोलने से परहेज़ कर रहे हो, लेकिन देर-सवेर घोषित या अघोषित तौर पर उनके उम्मीदवार मैदान में होंगे। खासतौर पर नगर चुनाव में बीजेपी, जदयू, राजद और सीपीआई की अहम भूमिका होने की संभावना जताई जा रही है।

सीपीआई को छोड़कर अन्य दलों के कई दावेदार चेयरमैन की सीट पर शुरुआती बढ़त बनाने के लिए अभी से मैदान में पसीना बहा रहे हैं। लेकिन सीपीआई में यहां अभी तक कोई हलचल या तैयारी नहीं दिख रही है, जबकि बखरी विधानसभा सीट पर सीपीआई का कब्जा है। सूत्र बताते हैं कि सीपीआई के भीतर अंदरूनी कलह और गुटबाजी के कारण निकाय चुनावों को लेकर अभी तक कोई बैठक तक नहीं हो सकी है। अंचल मंत्री शिव सहनी की अस्वस्थता और विधायक सूर्यकान्त पासवान द्वारा संगठनात्मक गतिविधियों से दूरी पार्टी कैडरों के बीच ऊहापोह की स्थिति पैदा कर दी है।

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