• टीबी के मरीज बीच में न छोड़ें दवा
• लक्षण दिखने पर सरकारी अस्पतालों में कराएं टीबी की जांच
• निक्षय पोर्टल के माध्यम से टीबी मरीजों की निगरानी
छपरा, विपिन। बाल और नाखून को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) हो सकती है। लिहाजा, प्रारंभिक लक्षण मिलते ही इसकी जांच कराएं और निर्धारित अवधि तक दवा अवश्य लें।टीबी के मरीज दवा बिल्कुल भी न छोड़ें। अगर दवा का सेवन बंद कर देंगे तो बीमारी और गंभीर हो सकती है। जिसका लंबा इलाज चलेगा। टीबी की दवा ज्यादा दिनों तक चलती है, लेकिन मरीज बीच में दवा छोड़ देते हैं, इस वजह से टीबी का संक्रमण शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है।
आमतौर पर पहले फेफड़े की टीबी वाले मरीज इलाज के लिए आते थे, लेकिन अब पेट, ग्लैंड, ब्रेन और बोन टीबी के मरीज भी आ रहे हैं। टीबी शरीर के नाखून और बाल को छोड़कर किसी भी हिस्से में हो सकती है। ऐसी स्थिति में अगर टीबी के लक्षण दिखते हैं तो तत्काल जांच कराएं। सरकार के द्वारा 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सरकार हर मरीज का समुचित इलाज सुनिश्चित करने के साथ मरीजों का उचित पोषण उपलब्ध करवा रही है। क्योंकि पोषण के अभाव में इस बीमारी का उन्मूलन बहुत कारगर नहीं होगा।
इसी कारण सरकार सभी टीबी के मरीजों को इलाज के दौरान पांच सौ रुपए प्रतिमाह की मदद दे रही है। वहीं विभाग के निर्देश के अनुसार अब प्राइवेट क्लीनिक पर इलाज कर रहे यक्ष्मा मरीजों का निश्चय पोर्टल पर निबंधन कराना अनिवार्य कर दिया गया है। निश्चय पोर्टल पर एंट्री को लेकर डाक्टर को भी प्रत्येक मरीज के आउट कम पर पांच सौ रुपए देने का प्रावधान है।जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना सामान्य लक्षण हैं। ऐसे लक्षण मिलने पर तत्काल जांच कराएं।
टीबी पर प्रभावी नियंत्रण और उन्मूलन के लिए प्रयास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य रोग से मुक्त पाना है। योजना के तहत सारथी के तौर पर निश्चय पोर्टल बनाया गया है। इसके माध्यम से प्रशासनिक स्तर पर आनलाइन निगरानी की जा रही है। पोर्टल के माध्यम से टीबी मरीजों और उनके इलाज से संबंधित सूचनाएं और इलाज से स्वास्थ्य में सुधार की जानकारी दर्ज हो रही है। प्रतिदिन पोर्टल अपडेट किया जा रहा है।