•फाइलेरिया कलस्टर फोरम के सदस्यों का एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित
•दवा सेवन कार्यक्रम में सहयोग का लिया संकल्प
Chhapra: जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। सामुदायिक सहभागिता को सुनिश्चित करने का प्रयास जारी है। इसी कड़ी में गांव स्तर पर पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क बनाया जा रहा है। पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क के सदस्यों को मिलाकर कलस्टर फोरम बनाया जा रहा है।फाइलेरिया क्लस्टर फोरम के सदस्यों का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजनसोनपुर के नवडीहा स्थित स्वास्थ्य उप केंद्र में किया गया। जिसकी अध्यक्षता सोनपुर अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी डॉ हरिशंकर चौधरी के द्वारा किया गया।
जिसमें उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो कि मच्छर के काटने से होता है और इस बीमारी का एक ही इलाज है तहत दवा का सेवन करना एवं साफ सफाई रखना । डॉ चौधरी ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन में सामुदायिक सहभागिता आवश्यक है। ऐसे में यह कलस्टर फोरम इस अभियान में सार्थक सिद्ध होगा। क्योंकि फोरम के सदस्यों ने दवा सेवन कार्यक्रम में सहयोग करने का संकल्प लिया है।
दवा सेवन कार्यक्रम में सहभागिता जरूरी:
वीबीडीसी कंसलटेंट सुधीर कुमार द्वारा बताया गया कि फाइलेरिया बीमारी कैसे होता है और इसका बच बचाओ करने में क्या-क्या कदम एवं संयम बरतने की आवश्यकता है। प्रोजेक्टर मेथड के माध्यम से लोगों को फाइलेरिया के बारे में विभिन्न प्रकार के वीडियो दिखाकर एमडीएमए करने वाले सहयोग के बारे में जानकारी दी गई। केयर इंडिया के डीपीओ आदित्य कुमार द्वारा भी एक्सरसाइज कर लोगों को प्रोत्साहित प्रोत्साहित कर नियमित साफ-सफाई कर कैसे पैर को सुरक्षित तथा आराम दे रखा जा सकता है इसकी जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण में कुल 20 नेटवर्क मेंबर तथा स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ वाल्मीकि प्रसाद गुप्ता डॉक्टर हरिमोहन झा डॉक्टर बबलू, पीसीआई के आरएमसी सत्यप्रकाश, सीफार के जिला समन्वयक रितेश राय, प्रखंड समन्वयक रंजन कुमार सिंह एवं नवीन कुमार उपस्थित रहे। प्रशिक्षण के दौरान नेटवर्क मेंबर सदस्य प्रदुमन कुमार, मोहन महतो, सुनील कुमार, सीमा देवी, रितु देवी, रामबाबू शर्मा, श्याम बाबू एवं अन्य नेटवर्क में मौजूद रहे।
फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित:
फ़ाइलेरिया उन्मूलन के तहत वर्ष में एक बार चरणबद्ध तरीके से मास ड्रुग एडमिनिस्ट्रेशनका कार्यक्रम चलाया जा रहा है। फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं।
फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध:
बिहार सरकार लिम्फेटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) के उन्मूलन हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस रोग से बचाव के लिए राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा साल में एक बार मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम चलाये जाते हैं। इस बार पुरे देश में 10 फरवरी को एमडीए का मेगा लंच होगा।