प्रसव पूर्व जांच से उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान आसान: सीएस

छपरा न्यूज़

•गर्भावस्था के दौरान चार प्रसव पूर्व जांच जरूरी
•एनीमिया के कारण सुरक्षित प्रसव में बाधा हो सकती है
•एनीमिया से बचाव को सावधानी बरतना आवश्यक

Chhapra, October 11 : मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए सरकार व स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह कटिबद्ध है। इसके लिए गर्भवती माताओं का गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच एवं उच्च जोखिम वाली गर्भवती माताओं की पहचान करते हुए उचित प्रसव प्रबंधन उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने कही। उन्होंने बताया सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने व मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी के उद्देश्य से प्रत्येक माह की 9 तारीख को जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत शिविर आयोजित कर गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जाँच की जाती है। छुट्टी रहने के कारण इस महीने मंगलवार को यह कार्यक्रम हुआ। इस दौरान सदर अस्पताल समेत जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष शिविर आयोजित कर गर्भवती महिलाओं की जांच की गयी। महिला चिकित्सकों ने उचित खानपान को लेकर परामर्श दिया। उन्होंने खासकर गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से बचने के लिए लौह तत्व युक्त हरी पत्तेदार साग-सब्जी, फल, दूध, अंडा मांस-मछली, चुकंदर, केला, मौसमी आदि फल खाने की बातें बताई।

उच्च जोखिम वाली गर्भवती माताओं की पहचान जरूरी:
सीएस डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि सभी गर्भवती माताओं की चार प्रसव पूर्व जांच करते हुए उच्च जोखिम वाली गर्भवती माताओं की पहचान की जा रही है। गर्भवती माताओं को एनीमिया से बचाने के लिए फोलिक एसिड, कैल्सियम एवं आयरन की गोलियां वितरित की गई। गर्भवती माताओं के प्रथम त्रैमास प्रसव पूर्व जांच के दौरान 90 फोलिक एसिड की गोलियां एवं द्वितीय त्रैमास में 360 कैल्सियम एवं 180 आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां एक साथ उपलब्ध करायी गयी। यही नहीं गर्भवती माताओं द्वारा उक्त सभी गोलियों का सेवन सुनिश्चित किये जाने के लिए उनका फॉलोअप भी संबंधित एएनएम/आशा के द्वारा किया जाएगा। धातृ माताओं को भी सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के आलोक में 180 आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां तथा 360 कैल्सियम की गोलियां एक साथ दी गयी।

एनीमिया से बचाव को सावधानी बरतना जरूरी:
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार ने बताया कि एनीमिया (खून की कमी) की सही समय पर पहचान न हो, तो कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि एनीमिया के कारण सुरक्षित प्रसव में बाधा हो सकती है। इससे बचाव के लिए हीमोग्लोबिन की जांच जरूरी है। बताया कि गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होने पर महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। खून की कमी है, तो उसे आयरन की गोली दी जाती है। एनीमिया से बचने के लिए गर्भवती महिला को समय से भोजन करना चाहिए। भोजन के साथ फल, हरी सब्जियां, दालें व पोषक तत्व युक्त आहार लेना चाहिए, ताकि वह स्वस्थ रहें।