आठ से 14 वर्षों में दिखने शुरू होते हैं फाइलेरिया बीमारी के लक्षण

छपरा न्यूज़
  • लोकनायक जय प्रकाश इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में चलाया गया मॉपअप राउंड
  • शिक्षकों और विद्यार्थियों को कराया गया फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन

Chhapra : फाइलेरिया के प्रभाव को कम करने के लिए जिले में सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत मॉप अप राउंड चलाया जा रहा है। इस क्रम में शुक्रवार को सारण जिला के लोकनायक जय प्रकाश इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मॉप राउंड के तहत प्रोफेसर्स, शिक्षक और यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों के बीच फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई गई। इस क्रम में संस्थान के प्राचार्य मिथिलेश कुमार सिंह ने फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कर विधिवत कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान बताया गया कि संस्थान के लगभग एक हजार विद्यार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कराया जाएगा।

इसके लिए आगामी तीन दिनों तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। ताकि, अधिकाधिक विद्यार्थियों को कार्यक्रम का लाभ दिलाया जा सके। इस दौरान केयर इंडिया के वीएल डीपीओ आदित्य कुमार ने बताया विद्यार्थियों को बताया कि इस कार्यक्रम के तहत जिले में सभी लक्षित लाभुकों को तीन प्रकार की दवाएं उपलब्ध कराई जाएगी। ताकि रोग का समूल नाश हो सके। इस क्रम में फाइलेरिया की रोकथाम एवं उन्मूलन के लिए डीईसी, अल्बेंडाजोल और आईवरमेक्टिन की दवा दी जा रही है।

दवाओं का सेवन जरूरी :
डीएमओ डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया, फाइलेरिया एक संक्रामक बीमारी है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। इसमें व्यक्ति जीवनपर्यंत के लिए दिव्यांग हो सकता है। इस बीमारी के लक्षण आठ से 14 वर्षों में दिखने शुरू होते हैं। जिससे व्यक्ति इसे गंभीरता से नहीं ले पाता है। इसके लिए एमडीए के बाद आईडीए प्रोग्राम की शुरुआत राज्य के तीन जिलों में हो रही है, जिसमें एक सारण जिला भी है।

उन्होंने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 2 से 5 वर्ष तक की आयु वाले को डीईसी की एक गोली, 6 से 14 आयु वालों को डीईसी की दो गोली और 15 से ऊपर आयु वर्ग वाले को डीईसी की तीन गोली खिलानी है। साथ ही, अल्बेंडाजोल की एक गोली सभी आयु वर्ग वालों को खिलाई जानी है। वहीं, आईवरमेक्टिन की गोली उनके शारीरिक लंबाई के अनुसार निर्धारित की गई है। जिसकी संख्या एक से लेकर चार तक हो सकती है।

फाइलेरिया विकलांगता उत्पन्न करने वाली ऐसी संक्रामक बीमारी :
डीएमओ ने बताया फाइलेरिया विकलांगता या विरूपता उत्पन्न करने वाली संक्रामक बीमारी है। जिसकी रोकथाम के लिए सरकार प्रयासरत है। फाइलेरिया मच्छर जनित रोग है जो एक विशेष प्रकार के मच्छर के काटने से होता है। इसके काटने के 15 दिन बाद बुखार आना, कुछ समय पश्चात शरीर के किसी भी अंग में सूजन का होना जैसे हाथी पांव, पैरों में सूजन, अंडकोषों में सूजन, स्तन और हाथों में स्थायी सूजन का होना फाइलेरिया के लक्षण हैं।

उन्होंने कहा कि अमूमन जिनके अंदर फाइलेरिया के परजीवी होते हैं, उनमें ही साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं। दवा खाने से जब शरीर में परजीवी मरते हैं तो कई बार सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं। इससे घबराने की जरूरत नहीं, यह स्वतः ठीक हो जाते हैं। इसके साइड इफेक्ट सामान्य होते, जो प्राथमिक उपचार से ठीक हो जाते हैं। मौके पर फाइलेरिया इंस्पेक्टर मोहम्मद मुस्तफा, पीसीआई के जिला समन्वयक कृष्ण कुमार सिंह, बीसी पंकज कुमार व संस्थान के फैकल्टी मौजूद रहे।

बरतें ये सावधानी :

  • दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं व गंभीर रोग से बीमार व्यक्ति को दवा नहीं खानी है।
  • खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें, ऐसा करने से शरीर पर विपरीत असर पड़ सकता है।
  • अगर सिर या पेट में दर्द हो तो घबराएं नहीं।