भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते पर बनी सहमति, 2024 के अंत तक सौदे को अंतिम रूप देने का लक्ष्य

दिल्ली

सेंट्रल डेस्क अशोक “अश्क” भारत और यूरोपीय आयोग के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर सभी अटकलों को खत्म करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सला वोन लेयेन ने इसे जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का संकल्प लिया है। दोनों नेताओं ने अपने संबंधित मंत्रालयों को निर्देश दिया कि इस वर्ष के अंत तक भारत-ईयू व्यापार समझौते पर सहमति बनाई जाए।

यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब कई देश संरक्षणवाद की ओर बढ़ रहे हैं और वैश्विक व्यापार बाधाओं को बढ़ा रहे हैं। सोमवार को भारत ने ब्रिटेन के साथ भी एफटीए वार्ता को पुनः प्रारंभ किया है, जिसका लक्ष्य 2025 में इसे अंतिम रूप देना है। ऐसे में भारत के मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर सक्रियता अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक रणनीति में उसके महत्व को दर्शाता है।

इसी संदर्भ में उर्सला वोन लेयेन ने भारत को मौजूदा वैश्विक अस्थिरता में निश्चितता का स्तंभ करार दिया। यूरोपीय संघ के 27 देशों में से 22 देशों के आयुक्त उर्सला वोन लेयेन के नेतृत्व में भारत दौरे पर आए हैं। यह पहली बार है जब ईयू का इतना बड़ा प्रतिनिधिमंडल किसी देश की यात्रा पर आया है। इस यात्रा को भारत और ईयू के बीच प्रगाढ़ होते रिश्तों के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान एफटीए और निवेश सुरक्षा समझौते को प्राथमिकता देने की बात कही, जबकि उर्सला ने मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को इस निर्णायक कदम का प्रमुख कारण बताया। भारत और ईयू के बीच वर्तमान में 120 अरब यूरो का द्विपक्षीय व्यापार होता है, जो एफटीए के बाद कई गुना बढ़ सकता है।

बैठक में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद और चीन की आक्रामक नीतियों पर भी चर्चा हुई, हालांकि इन देशों का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया गया। उर्सला वोन लेयेन ने भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को गहरा करने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा, अधिनायकवादी शक्तियां सीमाओं का उल्लंघन कर रही हैं और समुद्री शांति के लिए खतरा बन रही हैं।

ऐसे में हमें जमीन, समुद्र और अंतरिक्ष में सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने भारत के साथ वैसे ही रक्षा संबंध स्थापित करने का सुझाव दिया जैसा कि यूरोपीय देशों के जापान और दक्षिण कोरिया के साथ हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर कहा, आज विश्व अभूतपूर्व बदलाव के दौर से गुजर रहा है।

लोकतांत्रिक मूल्यों, रणनीतिक स्वायत्तता और कानून आधारित वैश्विक व्यवस्था में साझा विश्वास भारत और ईयू को स्वाभाविक रणनीतिक साझेदार बनाता है। दोनों पक्षों ने बैठक के बाद एक लीडर्स स्टेटमेंट जारी किया, जिसमें भारत-ईयू संबंधों को लेकर आठ महत्वपूर्ण निर्णय शामिल किए गए। इनमें एफटीए को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

इसके अलावा, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर परियोजना को आगे बढ़ाने, एशिया-प्रशांत और अफ्रीकी देशों में सहयोग, स्वच्छ ऊर्जा और समुद्री सुरक्षा में सहयोग जैसे विषयों पर सहमति बनी। यूरोपीय आयोग के आयुक्त शुक्रवार को हाइड्रोजन ईंधन से संचालित एक बस में सवार होकर हैदराबाद हाउस पहुंचे, जहां प्रधानमंत्री मोदी और उर्सला वोन लेयेन के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे को गति देने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि यह परियोजना वैश्विक वाणिज्य, सतत विकास और समृद्धि को आगे बढ़ाने का इंजन साबित होगी। उर्सला वोन लेयेन ने हिंद महासागर को वैश्विक व्यापार के लिए जीवनरेखा बताया और इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने को पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण करार दिया।

बैठक के दौरान पश्चिम एशिया की स्थिति और यूक्रेन युद्ध पर भी विचार-विमर्श किया गया। संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और क्षेत्रीय संप्रभुता के सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित न्यायसंगत और स्थायी शांति के लिए समर्थन व्यक्त किया।

इजरायल-फलस्तीन मुद्दे पर भारत और ईयू ने अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप, मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर, शांति और सुरक्षा के साथ दोनों देशों के सह-अस्तित्व और द्वि-राष्ट्र समाधान की प्रतिबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत इस वर्ष के अंत में भारत-ईयू शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

उन्होंने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को परस्पर विश्वास का प्रतीक बताया और कहा कि दोनों पक्ष साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग को बढ़ावा देंगे। इस बैठक के बाद स्पष्ट है कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार और सुरक्षा संबंधों को लेकर एक नई दिशा और गति मिलने वाली है।