अशोक “अश्क” राजनीतिक विवाद बढ़ गया है। 90 सदस्यीय विधानसभा के 23 विधायकों के चुनाव को उनके विरोधियों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इनमें मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कैबिनेट के चार मंत्री भी शामिल हैं। जिन मंत्रियों के चुनाव को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है, उनमें खेल राज्य मंत्री गौरव गौतम, स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव और शहरी निकाय मंत्री विपुल गोयल औरशिक्षा मंत्री महिपाल सिंह ढांडा शामिल हैं।

भाजपा के कुल 18 विधायकों के चुनाव को अदालत में चुनौती दी गई है, जबकि कांग्रेस के तीन, एक निर्दलीय और एक इनेलो विधायक भी इस सूची में हैं। याचिकाओं में भाजपा विधायकों पर सत्ता और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग, ईवीएम में गड़बड़ी, चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन और मतदाताओं को भ्रमित करने के आरोप लगाए गए हैं।



वहीं, कांग्रेस विधायकों पर फर्जी मतदान कराने, वोट खरीदने और बूथ कैप्चरिंग की कोशिश करने के आरोप हैं। हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों का कहना है कि चुनाव हारने वाले प्रत्याशियों द्वारा याचिका दायर करने की यह परंपरा कोई नई बात नहीं है। हालांकि, पहली बार इतनी बड़ी संख्या में विधायकों के चुनाव को चुनौती दी गई है।
पलवल के मंत्री गौरव गौतम के खिलाफ पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल ने याचिका दायर की। अटेली की मंत्री आरती सिंह राव के खिलाफ अतर लाल ने याचिका दायर की। पानीपत ग्रामीण के मंत्री महिपाल सिंह ढांडा के खिलाफ कांग्रेस के सचिन कुंडू ने चुनौती दी। फरीदाबाद के मंत्री विपुल गोयल के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार लखन सिंगला ने चुनौती दी।
कुछ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो चुकी है, जबकि बाकी पर फरवरी 2025 में सुनवाई होनी है। कई मामलों में प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं, और चुनाव आयोग से जवाब मांगा जा रहा है। हिसार के कांग्रेस सांसद जयप्रकाश के खिलाफ दो याचिकाएं दायर की गई थीं, लेकिन इनमें से एक खारिज हो चुकी है। पूर्व मंत्री रणजीत सिंह चौटाला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई जारी है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर 2024 को घोषित हुए थे। भाजपा ने लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करते हुए 48 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 37 सीटें मिलीं। इंडियन नेशनल लोकदल और निर्दलीय विधायकों के खाते में क्रमशः दो और तीन सीटें आई। 2019 में भाजपा ने 40 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 31 सीटें मिली थीं।
इस बार भाजपा की जीत बढ़ी है, लेकिन चुनावों के बाद कानूनी लड़ाई ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। इन विवादों से स्पष्ट है कि हरियाणा की राजनीति में कानूनी चुनौतियां और आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी रहेगा। हाईकोर्ट के फैसले आगामी राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं।